जब सब कुछ होते हुए भी जीवन कुछ अधूरा-सा क्यों लगता है ?

भीतर की बेचैनी और खुशी की कमी: आत्मा की पुकार या मन का भ्रम ? "जब सब कुछ होते हुए भी कुछ अधूरा-सा लगे, तो समझ लीजिए — यह आपकी आत्मा की दस्तक है।" जीवन की भागदौड़, सोशल मीडिया की चकाचौंध, करियर की दौड़, रिश्तों की उलझन और उपलब्धियों की भीड़ के बीच कई बार हम अचानक रुक जाते हैं और एक सवाल हमारे भीतर उठता है — “मैं खुश क्यों नहीं हूँ? ” बाहर से सब कुछ ठीक होता है -- नौकरी, परिवार, दोस्त, सोशल लाइफ -- पर फिर भी एक अंदरूनी बेचैनी, एक खालीपन, एक अजीब सी घुटन लगातार साथ चलती है। ऐसा लगता है जैसे जीवन किसी अदृश्य बोझ के नीचे दबा हुआ हो। क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। हजारों लोग इस आंतरिक संघर्ष से गुजरते हैं — बिना इसे पूरी तरह समझे या व्यक्त किए। इस लेख में हम इसी ‘अपरिभाषित बेचैनी’ को समझने की कोशिश करेंगे — इसके गहरे कारणों को उजागर करेंगे और कुछ ठोस समाधानों की ओर बढ़ेंगे। 💚 बेचैनी क्या है ? क्यों नहीं मिलती संतुष्टि ? मानव मन दो स्तरों पर काम करता है — एक बाहरी, जो संसार से जुड़ा है, और एक आंतरिक, जो आत्मा से। जब दोनों के बीच तालमेल बिगड़...