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क्या हम सच्ची दुनिया में जी रहे हैं या किसी सुपर-कंप्यूटर के सिमुलेशन में ?

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withrbansal             क्या हम किसी विशाल कंप्यूटर प्रोग्राम का हिस्सा है ? दोस्तों, कल्पना कीजिए कि किसी दिन हम सुबह उठें और यह पता चले कि जिस दुनिया को हम  “हक़ीक़त” समझ रहे थे—हमारा घर, परिवार, हमारा  काम,हमारी परेशानियाँ, हमारी खुशियाँ ,हमारे  सुख -दुःख इत्यादि सब किसी विशाल कंप्यूटर प्रोग्राम का हिस्सा हैं l पहली नज़र में यह पागलपन लगता है। लेकिन यही विचार आज विज्ञान और दर्शन की दुनिया में गंभीर रूप से चर्चा का विषय है। दुनिया के सबसे प्रभावशाली टेक उद्यमी एलन मस्क, ऑक्सफ़ोर्ड के दार्शनिक निक बॉस्ट्रॉम, MIT के वैज्ञानिक मैक्स टेगमार्क, और दुनिया भर के AI शोधकर्ता मानते हैं कि -  “हमारे सिमुलेशन में जीने की संभावना वास्तविक दुनिया में जीने से कहीं ज़्यादा है।” क्या यह सच है या यह सिर्फ एक दिमागी खेल है ? दोस्तों,इस लेख में हम इस सवाल को बहुत सरल एवं दैनिक जीवन के उदाहरणों के साथ समझेंगे। 💙 सिमुलेशन हाइपोथेसिस क्या है ?- सिमुलेशन थ्योरी यह कहती है कि - हमारी यह दुनिया असली नहीं है। यह एक उन्नत सभ्यता द्वारा बनाया गया एक हाई-लेव...

क्यों मनुष्य अपने ही अनुभवों का बंदी बनकर बार-बार धरती पर लौटता है |

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withrbansal आत्मा की अधूरी यात्रा: क्या है पुनर्जन्म का रहस्य ? दोस्तों,क्या आपने कभी सोचा है — क्यों कुछ लोग जन्म से ही दुखों में पलते हैं और कुछ लोग बिना किसी बड़े प्रयास के खुशहाल जीवन जीते हैं ?  क्यों कोई बच्चा संगीत में नैसर्गिक रूप से निपुण होता है, तो कोई बचपन से ही दार्शनिक बातों में रुचि लेता है? क्यूँ कोई व्यक्ति बहुत कम उम्र में प्रसिद्धि पा लेता है तो दूसरा होश सँभालते ही खुद को भीख मांगते हुए पाता है ?                                                         क्या यह सब मात्र संयोग है या इसके पीछे कोई अदृश्य योजना काम करती है ? “मनुष्य बार-बार धरती पर क्यों लौटता है?”  यह प्रश्न जितना गूढ़ है, उतना ही हमारे लिए आवश्यक है इसका उत्तर जानना,  क्योंकि इसका उत्तर हमें बताता है कि हमारा अस्तित्व केवल इस एक जन्म की कहानी नहीं है;  बल्कि आत्मा के विकास की लंबी, अधूरी और सुंदर यात्रा है l यह भी पढ़े -  क्या हमारे जीवन का क...

जब ‘चिट्ठी आई है’ से आँखें नम हों और ‘ओम नमः शिवाय’ से आत्मा शांत

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withrbansal                   भौतिकता और आध्यात्मिकता - एक ही नदी की दो धाराएँ  दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि “जीवन की गाड़ी” दो पहियों पर चलती है – एक भौतिक (Material) और एक आध्यात्मिक (Spiritual)?                                  एक तरफ़ है – धन सम्पति, पद प्रतिष्ठा, EMI, प्रोमोशन, सोशल मीडिया पर लाइक गिनती और Society में रुतबा। दूसरी तरफ़ – वो खामोश रातें जब आप छत पर लेटकर सोचते हैं --“क्या सब कुछ होने के बाद भी कुछ छूटा हुआ सा नहीं है ?”                                 जी हाँ! यही है वो द्वंद्व जो हर मनुष्य के जीवन में चलता है। और यही है इस लेख का धड़कता हुआ दिल – भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति के बीच वो अनदेखा पुल, जिस पर चलते हुए हम या तो गिर जाते हैं -- या जीवन को पा लेते हैं।                         और हाँ...

जब सब कुछ होते हुए भी जीवन कुछ अधूरा-सा क्यों लगता है ?

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भीतर की बेचैनी और खुशी की कमी: आत्मा की पुकार या मन का भ्रम ? "जब सब कुछ होते हुए भी कुछ अधूरा-सा लगे, तो समझ लीजिए — यह आपकी आत्मा की दस्तक है।" जीवन की भागदौड़, सोशल मीडिया की चकाचौंध, करियर की दौड़, रिश्तों की उलझन और उपलब्धियों की भीड़ के बीच कई बार हम अचानक रुक जाते हैं और एक सवाल हमारे भीतर उठता है — “मैं खुश क्यों नहीं हूँ? ” बाहर से सब कुछ ठीक होता है --  नौकरी, परिवार, दोस्त, सोशल लाइफ -- पर फिर भी एक अंदरूनी बेचैनी, एक खालीपन, एक अजीब सी घुटन लगातार साथ चलती है। ऐसा लगता है जैसे जीवन किसी अदृश्य बोझ के नीचे दबा हुआ हो। क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। हजारों लोग इस आंतरिक संघर्ष से गुजरते हैं — बिना इसे पूरी तरह समझे या व्यक्त किए। इस लेख में हम इसी ‘अपरिभाषित बेचैनी’ को समझने की कोशिश करेंगे — इसके गहरे कारणों को उजागर करेंगे और कुछ ठोस समाधानों की ओर बढ़ेंगे। 💚 बेचैनी क्या है ? क्यों नहीं मिलती संतुष्टि ? मानव मन दो स्तरों पर काम करता है — एक बाहरी, जो संसार से जुड़ा है, और एक आंतरिक, जो आत्मा से। जब दोनों के बीच तालमेल बिगड़...

क्या है जीवन में मन और चेतना की भूमिका ?

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withrbansal   जीवन के दो प्रमुख स्तंभ : मन एवं चेतना   दोस्तों,क्या है मन और चेतना के दार्शनिक रहस्य ? क्या यह दोनों एक ही है ? स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नवीनतम शोध- 2023 के अनुसार 73% लोग मन और चेतना को एक ही समझते हैं | मन और चेतना के बीच इसी आम भ्रम के कारण यह विषय अदितीय हो जाता है |                                                                  हम दिन-रात सोचते हैं, निर्णय लेते हैं,कल्पना करते हैं,और कभी-कभी चुपचाप केवल "होते" हैं | इन अनुभवों की जड़ में दो अद्भुत चीज काम कर रही होती है जिन्हें हम मन और चेतना के नाम से जानते हैं |                               अक्सर लोग इन दोनों को एक ही मान लेते हैं लेकिन यह भ्रम हमें जीवन को गहराई से समझने में बाधा उत्पन्न करता है | जैसे कंप्यूटर में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अलग-अलग होते हैं उस...