जब ‘चिट्ठी आई है’ से आँखें नम हों और ‘ओम नमः शिवाय’ से आत्मा शांत

withrbansal भौतिकता और आध्यात्मिकता - एक ही नदी की दो धाराएँ दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि “जीवन की गाड़ी” दो पहियों पर चलती है – एक भौतिक (Material) और एक आध्यात्मिक (Spiritual)? एक तरफ़ है – धन सम्पति, पद प्रतिष्ठा, EMI, प्रोमोशन, सोशल मीडिया पर लाइक गिनती और Society में रुतबा। दूसरी तरफ़ – वो खामोश रातें जब आप छत पर लेटकर सोचते हैं --“क्या सब कुछ होने के बाद भी कुछ छूटा हुआ सा नहीं है ?” जी हाँ! यही है वो द्वंद्व जो हर मनुष्य के जीवन में चलता है। और यही है इस लेख का धड़कता हुआ दिल – भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति के बीच वो अनदेखा पुल, जिस पर चलते हुए हम या तो गिर जाते हैं -- या जीवन को पा लेते हैं। और हाँ...