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क्या हमारे जीवन का कोई अर्थ है या फिर यह सब बकवास है ?

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withrbansal         जीवन क्या है और हम यहां इस धरती पर क्यों है ?   जीवन क्या है ? मैं इस धरती पर क्यों आया हूं ? क्या मेरे जीवन का कोई अर्थ है या फिर यह बस एक दुर्घटना है ?                                                                         दोस्तों,यह सवाल हम सभी के मन में कभी ना कभी जरूर आते हैं, खासकर तब-- जब हम अकेले होते हैं या असफल होते हैं या जब लगता है कि जिंदगी ठहर सी गई है या फिर जब सब कुछ होते हुए भी जीवन में एक खालीपन सा महसूस होता है |                                                                                              ...

जीवन की स्क्रिप्ट : कर्म लिखता है या प्रारब्ध ?

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withrbansal            कर्म, भाग्य, प्रारब्ध और नियति: जीवन की अदृश्य डोरियाँ” दोस्तों , "क्या तुम वह हो, जो तुम्हारा भाग्य कहता है ? या वह, जो हर दिन कर्म से स्वयं को रचता है ?" मानव जीवन की सबसे पुरानी और रहस्यमयी पहेली है — “मैं कौन हूँ, और मेरा जीवन किसके अधीन है ?” क्या मैं एक कठपुतली हूँ, जिसकी डोर नियति के हाथों में है ? या मैं वह चुपचाप जीवन पथ पर चलता वह कलाकार हूँ, जो अपने कर्मों से भविष्य की रंगभूमि को तैयार कर रहा है ? आइए दोस्तों जीवन की इस गूढ पहेली को चार शब्दों -  " कर्म, भाग्य, प्रारब्ध, और नियति " में विभाजित कर समझें l                                           ये शब्द सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के अंदर चलती सूक्ष्म ऊर्जा की परतें हैं। इन्ही शब्दों पर सम्पूर्ण जीवन का ताना-बाना रचा हुआ है और इन्हें समझे बिना हम इस जीवन रूपी गुत्थी को सुलझा नहीं सकते है |   1 कर्म: गति का बीज- "कर्म " सिर्फ क्रिया नहीं है, यह स्पंद...

आत्मघाती व्यक्तित्व के 10 संकेत जो उसे असफल बनाते हैं

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withrbansal   सफलता में बाधक 10 आत्मघाती व्यक्तित्व के संकेत  दोस्तों,आज का युग अवसरों एवं सफलता का है | आधुनिक लोकतंत्र एवं विश्व ग्राम की संकल्पना के साकार होने से आज सभी को समान अवसर उपलब्ध है | कोई भी व्यक्ति बिना धर्म, मूलवंश,जाति,लिंग, जाति के भेदभाव के  किसी भी स्तर की सफलता प्राप्त कर सकता है |                                                                                                                                              आज हमें जो अवसर प्राप्त हो रहे हैं ,इतिहास में शायद ही कभी ऐसा दौर रहा हो जब ऐसी संभावनाएं उपलब्ध रही हो |                       ...

क्या अंतिम समय पर मृत प्रियजन हमारे स्वागत को उपस्थित होते है ?

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withrbansal क्या मृत्यु के समय हमारे मृत प्रियजन हमें लेने आते है ?  दोस्तों, मृत्यु जीवन का सबसे रहस्यमय और अपरिभाषित अनुभव है | मृत्यु के क्षण क्या होता है, आज भी सृष्टि की सबसे अनूठी पहेली है | प्राचीन काल से ही अनेकों योगियों एवं संतों द्वारा इस रहस्य को जानने का प्रयास किया जाकर अपने अनुभव साझा किए गए हैं,लेकिन मानव का मृत्यु से भय कम नहीं हुआ है |                                                                   सेक्स के बाद आज भी मृत्यु ही वह दूसरी चीज है जिस पर इंसान बात करने से भी कतराता है | "अर्नेस्ट बेकर " तो मनुष्य को मृत्यु से पीड़ित पशु बताते है | मृत्यु के पीछे चाहे "जे0 कृष्णमूर्ति "का निरंतरता  के छूट जाने का भय हो या ज्ञात को खो देने का डर या फिर "बेकर" का व्यक्तिगत पहचान मिट जाने का अंदेशा |                             ...

खुद से किए जाने वाले प्रश्न ही आपकी नियति तय करते हैं |

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withrbansal   गुणवत्तापूर्ण प्रश्न ही गुणवत्तापूर्ण जीवन की गारंटी है |                                     दोस्तों,यदि "सर आईजैक न्यूटन" सेब के नीचे गिरने पर स्वयं से यह सवाल नहीं पूछते कि "सेब नीचे ही क्यों गिरा,ऊपर या बगल में क्यों नहीं गया ?"तो क्या वे गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को खोज पाते |                                                                                                                                                                         इसी प्रकार ...