संदेश

जब ‘चिट्ठी आई है’ से आँखें नम हों और ‘ओम नमः शिवाय’ से आत्मा शांत

चित्र
withrbansal                   भौतिकता और आध्यात्मिकता - एक ही नदी की दो धाराएँ  दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि “जीवन की गाड़ी” दो पहियों पर चलती है – एक भौतिक (Material) और एक आध्यात्मिक (Spiritual)?                                  एक तरफ़ है – धन सम्पति, पद प्रतिष्ठा, EMI, प्रोमोशन, सोशल मीडिया पर लाइक गिनती और Society में रुतबा। दूसरी तरफ़ – वो खामोश रातें जब आप छत पर लेटकर सोचते हैं --“क्या सब कुछ होने के बाद भी कुछ छूटा हुआ सा नहीं है ?”                                 जी हाँ! यही है वो द्वंद्व जो हर मनुष्य के जीवन में चलता है। और यही है इस लेख का धड़कता हुआ दिल – भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति के बीच वो अनदेखा पुल, जिस पर चलते हुए हम या तो गिर जाते हैं -- या जीवन को पा लेते हैं।                         और हाँ...

जब सब कुछ होते हुए भी जीवन कुछ अधूरा-सा क्यों लगता है ?

चित्र
भीतर की बेचैनी और खुशी की कमी: आत्मा की पुकार या मन का भ्रम ? "जब सब कुछ होते हुए भी कुछ अधूरा-सा लगे, तो समझ लीजिए — यह आपकी आत्मा की दस्तक है।" जीवन की भागदौड़, सोशल मीडिया की चकाचौंध, करियर की दौड़, रिश्तों की उलझन और उपलब्धियों की भीड़ के बीच कई बार हम अचानक रुक जाते हैं और एक सवाल हमारे भीतर उठता है — “मैं खुश क्यों नहीं हूँ? ” बाहर से सब कुछ ठीक होता है --  नौकरी, परिवार, दोस्त, सोशल लाइफ -- पर फिर भी एक अंदरूनी बेचैनी, एक खालीपन, एक अजीब सी घुटन लगातार साथ चलती है। ऐसा लगता है जैसे जीवन किसी अदृश्य बोझ के नीचे दबा हुआ हो। क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। हजारों लोग इस आंतरिक संघर्ष से गुजरते हैं — बिना इसे पूरी तरह समझे या व्यक्त किए। इस लेख में हम इसी ‘अपरिभाषित बेचैनी’ को समझने की कोशिश करेंगे — इसके गहरे कारणों को उजागर करेंगे और कुछ ठोस समाधानों की ओर बढ़ेंगे। 💚 बेचैनी क्या है ? क्यों नहीं मिलती संतुष्टि ? मानव मन दो स्तरों पर काम करता है — एक बाहरी, जो संसार से जुड़ा है, और एक आंतरिक, जो आत्मा से। जब दोनों के बीच तालमेल बिगड़...

क्या है जीवन में मन और चेतना की भूमिका ?

चित्र
withrbansal   जीवन के दो प्रमुख स्तंभ : मन एवं चेतना   दोस्तों,क्या है मन और चेतना के दार्शनिक रहस्य ? क्या यह दोनों एक ही है ? स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नवीनतम शोध- 2023 के अनुसार 73% लोग मन और चेतना को एक ही समझते हैं | मन और चेतना के बीच इसी आम भ्रम के कारण यह विषय अदितीय हो जाता है |                                                                  हम दिन-रात सोचते हैं, निर्णय लेते हैं,कल्पना करते हैं,और कभी-कभी चुपचाप केवल "होते" हैं | इन अनुभवों की जड़ में दो अद्भुत चीज काम कर रही होती है जिन्हें हम मन और चेतना के नाम से जानते हैं |                               अक्सर लोग इन दोनों को एक ही मान लेते हैं लेकिन यह भ्रम हमें जीवन को गहराई से समझने में बाधा उत्पन्न करता है | जैसे कंप्यूटर में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अलग-अलग होते हैं उस...

72 घंटे उपवास - एक गहन मानसिक रीसेट जो जीवन को बदल सकता है |

चित्र
withrbansal             72 घंटे का उपवास: मस्तिष्क के लिए प्राकृतिक इलाज  दोस्तों, हम अक्सर सोचते हैं कि उपवास पेट के लिए है। वास्तविकता यह है कि उपवास से असली बदलाव मस्तिष्क मे होता है और यह तब होता है जब हमारे मस्तिष्क को भोजन से विराम मिलता है।  आज की दुनिया में हमारा मस्तिष्क हर पल उत्तेजनाओं से घिरा है-- नोटिफिकेशन, सोशल मीडिया, कैफीन, शुगर और लगातार सोचते रहने की आदत। हर क्षण हम कुछ पाने या प्रतिक्रिया देने में लगे रहते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है कि हमारा मस्तिष्क कब ‘आराम’ करता है? यहीं आता है 72 घंटे का उपवास—एक ऐसा अनुभव जो न केवल आपके शरीर को, बल्कि आपके मस्तिष्क को भी गहराई से साफ करता है। यह उपवास सिर्फ कैलोरी का त्याग नहीं, बल्कि एक आंतरिक पुनर्निर्माण (inner reconstruction) की प्रक्रिया है। 💚 उपवास—वज़न घटाने से कहीं आगे की बात भारत में उपवास कोई नई चीज़ नहीं है। धार्मिक ग्रंथों से लेकर आयुर्वेद तक, हर प्रणाली ने उपवास को आत्म-नियंत्रण और स्वास्थ्य का साधन माना है। लेकिन आज के विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि सही तरीके से किया गया...

सच्चा उद्देश्य: आत्मा का संतोष या समाज की स्वीकृति?

चित्र
                             सच्चा उद्देश्य: आत्मा का संतोष या समाज की स्वीकृति  ? दोस्तों , "कभी रुक कर सोचा है — हम जो कर रहे हैं, वो हमारे भीतर की शांति के लिए है या बाहर की तालियों के लिए ? 💚जीवन की दो दिशाएं - अंतर-आत्मा एवं समाज   हर इंसान के जीवन में कोई न कोई उद्देश्य होता है—कुछ लोग उसे बचपन में ही निश्चित कर लेते है , कुछ पूरी उम्र ढूंढते रहते हैं। पर क्या आपने कभी ये सोचा कि जो उद्देश्य हम अपनाते हैं, वह वास्तव में हमारी आत्मा से उपजा है, या सिर्फ समाज की अपेक्षाओं की छाया है ? आज की इस दौड़ती-भागती दुनिया में, जहाँ "लाइक", "फॉलोअर्स" और "रील्स" ही सफलता का मापदंड बन गए हैं, वहाँ असली उद्देश्य क्या रह गया है? क्या हम सचमुच अपनी अंतरात्मा की पुकार सुन रहे हैं या सिर्फ समाज की तालियों के पीछे भाग रहे हैं ? 💨 आत्मा का संतोष: एक आंतरिक यात्रा- आत्मा का संतोष कोई बाहरी प्रमाणपत्र नहीं है। यह एक ऐसा मौन है, जो भीतर की हलचल को शांत कर देता है। 💨 संतोष का अर्थ क्या है? यह वो स्थिति है जब आप किसी ...

दुःख : जीवन में दुर्भाग्य है या अवसर ?

चित्र
Withrbansal  दुःख : दर्द से ही जन्म लेता है जीवन का सबसे बड़ा अर्थ  |   दोस्तों, व्यक्ति के जीवन में कभी ना कभी एक समय ऐसा आता है जब वह अपने आप से रोते हुए यह सवाल पूछता  हैं -- "मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ है ? "                      दुख जब दस्तक देता है तो वह केवल आंसू ही नहीं लाता है वह शब्दहीन संवाद भी लाता है-- " मैं ही क्यों ? "                          दुख की इन विकट घड़ी में अधिकांश लोग इसी प्रकार के नकारात्मक संवाद स्वयं से करते हैं और उन परिस्थितियों को और ज्यादा खराब कर लेते हैं |                                           जबकि इन स्थितियों में शायद सही सवाल यह होना चाहिए कि- " दुख,तू मुझे क्या सिखाने आया हैं ? "  क्या तू मुझे तोड़ने या बनाने आया है ? और सबसे महत्वपूर्ण -- " तेरे बिना क्या मैं अधूरा रह जाता ? "    ...