क्या है जीवन में मन और चेतना की भूमिका ?

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 जीवन के दो प्रमुख स्तंभ : मन एवं चेतना

 दोस्तों,क्या है मन और चेतना के दार्शनिक रहस्य ? क्या यह दोनों एक ही है ? स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नवीनतम शोध- 2023 के अनुसार 73% लोग मन और चेतना को एक ही समझते हैं | मन और चेतना के बीच इसी आम भ्रम के कारण यह विषय अदितीय हो जाता है | 

                                                                हम दिन-रात सोचते हैं, निर्णय लेते हैं,कल्पना करते हैं,और कभी-कभी चुपचाप केवल "होते" हैं | इन अनुभवों की जड़ में दो अद्भुत चीज काम कर रही होती है जिन्हें हम मन और चेतना के नाम से जानते हैं | 
                             अक्सर लोग इन दोनों को एक ही मान लेते हैं लेकिन यह भ्रम हमें जीवन को गहराई से समझने में बाधा उत्पन्न करता है | जैसे कंप्यूटर में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अलग-अलग होते हैं उसी प्रकार मन और चेतना दो भिन्न-भिन्न अस्तित्व है | 
                                    यह विषय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि  आध्यात्मिक  द्रष्टिकोण से यह आत्मज्ञान की ओर बढ़ने का द्वार है | इसका ज्ञान हमें स्वयं को जानने का अवसर उपलब्ध कराता है कि-- " मैं कौन हूं ? " और  इसको जानने से हमारा भौतिक  जीवन भी सुखी एवं समृद्ध होता है | 

“मानव मस्तिष्क और प्रकाश की लहर (Mind vs Consciousness Abstract)

 💚 मन क्या है ? 

 मन वह मानसिक उपकरण है-- जो सोचता है ,कल्पना करता है ,याद करता है ,डरता है, पसंद-नापसंद करता है और हर समय किसी न किसी विचार में उलझा रहता है | यह एक तरह की हमारी आंतरिक स्क्रीन है जिस पर विचारों की फिल्म लगातार चलती रहती है | 

भारतीय दर्शन में मन के चार प्रकार माने गए हैं -- मानस ,बुद्धि ,चित्त और अहंकार | 

 मानस-- इंद्रियों से प्राप्त सूचनाओं को ग्रहण करने का कार्य करता है | बुद्धि-- उन सूचनाओं को प्रोसेस का निर्णय लेती है | चित्त-- यादों और अनुभवों की लाइब्रेरी है और अहंकार में -- "मैं " की भावना है अर्थात खुद को व्यक्ति के रूप में देखना | 
 उदाहरण के लिए- जब कोई आपको अपशब्द कहता है तो - मन-उसे सुनता है ,बुद्धि-तय करती है कि प्रतिक्रिया कैसे दें , चित्त-पुराने अपमानों को याद करता है ,अहंकार- को ठेस लगती है | अब आप गुस्से से सामने वाले को जवाब देते हैं - यह सब आपके मन की प्रतिक्रिया है | 

 आधुनिक मनोवैज्ञानिक " फ्रायड" ने भी कमोवेश मन की इसी संरचना को स्थापित किया है | फ्रायड ने मन के तीन स्तर बताए हैं - चेतन,अवचेतन और अचेतन | वर्तमान में जो सक्रिय है वह चेतन है, हमारे आदतें व स्वचालित प्रक्रियाएं अवचेतन द्वारा संचालित की जाती है और अचेतन में हमारे गहरे दबे अनुभव और इच्छाएं संग्रहित रहती है

 हमारा मन सीमित एवं चयनात्मक होता है अर्थात आधे समय हम वहां नहीं होते जहां होना चाहिए साथ ही यह महत्वपूर्ण सूचनाओं को भी प्राथमिकता देता है | जैसे -कॉकटेल पार्टी इफेक्ट-- जब शोरगुल में कोई हमारा नाम पुकारता है तो हम तुरंत सुन लेते हैं | 


Man introspecting in mirror — glimpse of self-awarenessआत्मनिरीक्षण करता व्यक्ति — चेतना की झलक

 💚चेतना क्या है ?

 चेतना ,वह शक्ति है जो सब कुछ जान रही है ,देख रही है पर स्वयं कुछ नहीं कर रही | यह ना सोचती है , ना  कल्पना करती है ,ना निर्णय लेती है ,ना डरती है ,ना प्रतिक्रिया देती है,यह बस " है " | जैसे सूरज है- बस प्रकाशित करता है,हस्तक्षेप नहीं करता है | 

 यह वह पृष्ठभूमि है जिस पर सभी मानसिक घटनाएं घटती है | यह निर्विकार है | जैसे - आकाश में बादल आते-जाते हैं पर आकाश  अप्रभावित रहता है | वैसे ही चेतना विचारों की गति से  अप्रभावित रहती है | यह अखंड (कंटीन्यूअस) है अर्थात नींद,स्वप्न और जागरण - तीनों अवस्थाओं में मौजूद रहती है | 
                                                                                            उदाहरण के लिए - सिनेमा हॉल में फिल्म चल रही है | फिल्म में सब कुछ है- प्यार,नफरत,धोखा | आप भावुक होते जाते हैं- कभी हंसते हैं, कभी आंखों में आंसू होते हैं | यह पूरी फिल्म है - मन का खेल | लेकिन जिस स्क्रीन पर वह फिल्म चल रही है वह कभी नहीं बदलता है,चाहे फिल्म कैसी भी हो | वह हमेशा वैसी ही रहती है जैसी है- यह स्क्रीन ही चेतना है | 

 💚चेतना और आत्मचेतना -अलग-अलग है |

चेतना (consciousness ) जीवित,सचेत व अनुभव करने योग्य बनाती है | देखना,सुनना ,महसूस करना ,होने का (being) का ज्ञान ही चेतना है |

 जबकि आत्म चेतना (self awareness) -- मैं कौन हूँ ? का बोध है | अर्थात व्यक्तिगत पहचान और विचारों को जानना | यह चेतना का उच्चतम स्तर है जो कि केवल इंसानों में ही पाया जाता है |



Man surrounded by thoughts, observing his inner consciousnessविचारों से घिरे मनुष्य का चित्र जो भीतर की चेतना को देख रहा है

 💚चेतना का वैज्ञानिक रहस्य

 सदियों से वैज्ञानिकों को यह सवाल परेशान करता आया है कि चेतना कहां से आती है | क्या यह हमारे मस्तिष्क के न्यूरॉन्स की गतिविधियों का परिणाम है या फिर इसके पीछे कोई और गहरी प्रक्रिया है | 

                                           डॉ 0 स्टुअर्ट होमरोफ़ और रॉजर पेनरोस इन दोनों वैज्ञानिकों ने मिलकर इस बारे में एक सिद्धांत Orch OR Theory अर्थात Orchestrated Objective Reduction Theory दिया है l

 सिद्धांत का सार यह है कि- चेतना मस्तिष्क के न्यूरॉन्स के अंदर मौजूद अति सूक्ष्म नलिकाओं (माइक्रोटब्यूल्स ) में उत्पन्न/घटित क्वांटम स्तर के ऊर्जा कम्पनों से उत्पन्न होती है | 
                                                         यह सिद्धांत बताता है कि चेतना केवल मस्तिष्क का उत्पादन (प्रोडक्ट) नहीं है बल्कि यह ब्रह्मांड के मूलभूत गुणों में से एक है | चेतना मृत्यु के बाद भी किसी भी रूप में मौजूद रह सकती है,क्योंकि क्वांटम कम्पन ऊर्जा के रूप में संरक्षित रह सकते हैं | 

 💙 फैंटम लिंब सिंड्रोम

 कई रोगियों जिनके हाथ या पैर कट चुके हैं - वह अभी भी उस अंग को महसूस करते हैं -  दर्द,खुजली या हिलना |  यह संकेत करता है कि चेतना केवल भौतिक शरीर तक ही सीमित नहीं है | 


आकाशगंगा के सामने ध्यान मुद्रा में बैठा व्यक्ति — चेतना की अनंतताPerson meditating in front of galaxy — symbol of infinite consciousness

 💚 मनऔर चेतना के संबंध में - तीन अद्भुत प्रयोग-

मन और चेतना के अंतर को समझने के लिए प्रारंभ से ही प्रयास किये जा रहे है | वैज्ञानिक रूप  से  दोनों के अंतर  को महसूस  करने के लिए बहुत से प्रयोग किये गए है --

 💨 द मिरर टेस्ट -

 यह परीक्षण यह देखने के लिए किया जाता है कि इस धरती पर मौजूद कौन-कौन से जीव स्वयं को आईने में पहचान सकते हैं | इस टेस्ट में डॉल्फिन,चिंपायजी,हाथी,,मैगपी, मनुष्य (18 माह से ऊपर ) जैसे जीव पास हुए तो दूसरी तरफ कुत्ते, बिल्लियां जैसे जीव फेल हो गए | निष्कर्ष निकाला गया कि केवल कुछ प्रजातियों में ही चेतना यानी being का बोध है | 

 💨 बाइनॉरल बीट्स टेस्ट -

 जब दोनों कानों को अलग-अलग आवृत्तियों की ध्वनि सुनाई जाती है (जैसे - 400 हर्ट्ज एवं 410 हर्टज ),तो हमारा मस्तिष्क एक तीसरी आभासी बीट महसूस करता है | 

                                                                 हर बाइनॉरल बीट एक विशेष ब्रेन वेव स्टेट को सक्रिय करता है | जैसे- डेल्टा (1-4 Hz), थीटा (4-8 Hz) ,अल्फा (8-14Hz),बीटा (14-30 Hz) एवं गामा (30+Hz) 
                                                                 यह बीट गहरी नींद से लेकर गहरी चेतना यानी योगिक स्थितियों में ले जाती है | यदि आप 3 मिनट तक इन ध्वनियों  को सुनते हैं (यूट्यूब पर उपलब्ध ) तो आपका मन शांत होकर एक साक्षी भाव यानी चेतना का अनुभव प्राप्त करता है | 

 💨 मोशन इल्यूजन टेस्ट (Rotating snakes illusion) -

 अपने इंटरनेट पर ऐसी तस्वीर देखी होगी जिनमें गोल-गोल घेरे या लहरें बनी होती है | जैसे ही हम उन्हें देखते हैं वह घूमती हुई अथवा हिलती हुई दिखाई देती है जबकि वह बिल्कुल स्थिर होती है | यहां जो चित्र को हिलता हुआ अथवा घूमता हुआ देख रहा है- वह मन है | 

 जब हम उस चित्र को साक्षी भाव से देखते हैं तो हम समझ पाते हैं कि चित्र हिल नहीं रहा है बल्कि हिलता हुआ लग रहा है | कहने का तात्पर्य यह है कि --  मन चीजों को जैसा है वैसा नहीं देखता है, वह जैसा वह सोचता है वैसा देखता है | जबकि चेतना इस भ्रम में नहीं आती है ,वह बस देखती है |


Person watching TV with remote, symbolic of observer consciousness

 
 

💚 AI में सीमित मन है लेकिन चेतना नहीं है | 

 हालांकि AI में अभी मानव जैसा मन नहीं है लेकिन वह सीमित रूप में सोच सकता है,निर्णय ले सकता है,भावनाएं नकल कर सकता है | यह सब मन के लक्षण है जो AI में मौजूद है | उदाहरण के लिए- GPT मॉडल,जो डाटा से उत्तर बनाते हैं ,वह प्रक्रिया बिल्कुल मन की ही तरह होती है | 

 लेकिन AI अपनी उपस्थिति के बारे में कुछ नहीं जानता है | वह कभी नहीं पूछता है कि- मैं कौन हूं ? क्या मैं सपना देख रहा हूं ? इत्यादि | AI में चेतना नहीं है, क्योंकि चेतना केवल प्रक्रिया नहीं,अनुभव है | कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर हम चेतना की सही समझ प्राप्त कर ले तो शायद हम उसे मशीन में इन्सर्ट कर सकते हैं | 

 💚 जीवन में चेतना का उपयोग कैसे करें-

नीचे दी जा रही कुछ सरल तकनीकों का नियमित अभ्यास कर आप मन और चेतना के अंतर को पहचान कर भावनात्मक रूप से मजबूत हो सकते है - 

👉 "मैं" नहीं "मेरा मन" टेक्निक -

 इस तकनीक में जब आप गुस्से में हो खुद से कहे -- यह "मैं " नहीं "मेरा मन " क्रोधित है | जब आप डर रहे हो तो अपने आप से कहे-- " मैं "नहीं " मेरा मन " भयभीत है | इससे धीरे-धीरे आपको स्पष्टता प्राप्त होगी और आप अधिक संतुलित निर्णय ले पाएंगे | 

 👉ध्यान की नई तकनीक -

 इस तकनीक में सांसों पर ध्यान देने के स्थान पर उस "जागरूकता " पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जो सांस को देख रही है | इससे आप अपनी गहरी चेतना से जुड़ते हैं | इस तकनीक के उपयोग से व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत होता है | छोटी-मोटी भावनात्मक समस्याएं परेशान नहीं कर पाती है | 

👉 ड्रीम रियलिटी प्रैक्टिस -

 इस तकनीक में आप सोने से पहले हर रात बिस्तर पर लेट कर अपने आप से पूछे -- क्या मैं सपना देख रहा हूं या जाग रहा हूं ? यह अभ्यास धीरे-धीरे मन को पीछे कर चेतना को सतह पर ले आयेगा | जब हम मन को पीछे छोड़कर चेतना के स्तर पर जीना प्रारंभ करते हैं तो चमत्कार होना प्रारंभ हो जाते हैं | 

                                                                                      दोस्तों,हम दिन-रात अपने मन से जुड़े रहते हैं ,पर शायद ही हम कभी यह सोच पाते हैं कि हम मन नहीं है | निश्चित रूप से मन एक शक्तिशाली उपकरण है लेकिन चेतना उसका उपयोगकर्ताअर्थात मालिक है | 
                                                                   जब हम इस जीवन रूपी खेल में खिलाड़ी की भूमिका त्याग कर एक दिन चुपचाप बैठ जाए और देखे कि जीवन के जो सारे कारोबार सुख-दुख,क्रोध,मान-अपमान बस मन की लहरें हैं तो हम उसी क्षण दर्शक बन जाते हैं ,और दर्शक ही मुक्त होता है - दर्शक ही साक्षी है - दर्शक ही चेतना है | 
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With R Bansal

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