दुःख : जीवन में दुर्भाग्य है या अवसर ?

Withrbansal

 दुःख : दर्द से ही जन्म लेता है जीवन का सबसे बड़ा अर्थ  |

 दोस्तों, व्यक्ति के जीवन में कभी ना कभी एक समय ऐसा आता है जब वह अपने आप से रोते हुए यह सवाल पूछता  हैं -- "मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ है ? " 
                    दुख जब दस्तक देता है तो वह केवल आंसू ही नहीं लाता है वह शब्दहीन संवाद भी लाता है-- " मैं ही क्यों ? "
 

                       दुख की इन विकट घड़ी में अधिकांश लोग इसी प्रकार के नकारात्मक संवाद स्वयं से करते हैं और उन परिस्थितियों को और ज्यादा खराब कर लेते हैं | 
                                         जबकि इन स्थितियों में शायद सही सवाल यह होना चाहिए कि- " दुख,तू मुझे क्या सिखाने आया हैं ? "  क्या तू मुझे तोड़ने या बनाने आया है ? और सबसे महत्वपूर्ण -- " तेरे बिना क्या मैं अधूरा रह जाता ? " 
                 बहुत कम लोग ऐसे हैं जो दुखों से इस तरह संवाद करते हैं , जो करते हैं वह या तो सन्यासी हो जाते हैं या क्रांतिकारी | 
                    दोस्तों, दुख ना तो दुर्भाग्य है ना विधाता की लाचारी और ना ही कोई भूखा दानव, जो हमारी आत्मा को निगल जाता है, यह तो वह शिल्पकार है जो हमारे जीवन और आत्मा को तराशता है |


Self-realization often begins with breaking dow खुद को पहचानने की शुरुआत अक्सर टूटने से होती है

 

 💚दुःख हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है |

दुख,कोई दुर्लभ घटना नहीं है बल्कि जीवन का स्वाभाविक अंग है | हर इंसान चाहे वह किसी भी स्तर पर क्यों ना हो वह इसे कभी ना कभी अनुभव जरूर करता है | 

" द प्रोफेट"  में खलील जिब्रान द्वारा कहा गया है-- " सुख एवं दुख दोनों में कोई भी श्रेष्ठ नहीं है ,इन्हें एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है, यह साथ-साथ आते हैं | जब उनमें से एक भोजन के समय तुम्हारे साथ बैठा है तो याद रखो कि दूसरा तुम्हारे बिस्तर पर सो रहा है | "

💚दुःख कोई भूखा दानव नहीं है |

दुख,तब तक ही दानव है जब तक हम उसे पहचानते नहीं है | जैसे- अंधेरे में हर छाया हमें भूत लगती है, इस तरह दुख हमें तभी तक डराते हैं जब तक हम उसके पास नहीं जाते हैं | 

                                               जिस दिन हम उसकी आंखों में आंखें डाल कर पूछते हैं -- " तू क्यों आया है ? " "क्या कहने आया है ? "उसी दिन वह दानव से एक शिक्षक में परिवर्तित हो जाता है | 


पत्थर की दरार से निकलता हरा पौधा – आशा और जीवन की प्रतीक तस्वीर Green plant sprouting from a crack in stone – symbol of hope and resilience

💚दुःख हमेशा हमारे "कर्मफल"भी नहीं है | 

 हमारे "प्रारब्ध " कर्म को भी कई बार दुखों का कारण माना जाता है ,लेकिन यह अंतिम सत्य नहीं है | उदाहरण के लिए-- कोई छात्र कड़ी मेहनत के बावजूद परीक्षा में असफल हो जाता है , यह उसका कर्म फल नहीं है | 
                                                            यह उसके लिए आत्म विश्लेषण कर बेहतर तैयारी एवं आत्मविश्वास के साथ दोबारा प्रयास करने का एक अवसर है ताकि वह सफलता के नए स्तर को प्राप्त कर सके |

 💚दुख को दुर्भाग्य मानना आत्मा से पलायन है | 

 अधिकांश लोग दुखों को दुर्भाग्य का नाम देकर अपनी जिम्मेदारियां से भागते हैं | यदि हम हर दुख एवं पीड़ा को दुर्भाग्य का नाम दे देते हैं तो क्या हमें स्वयं पर कभी दृष्टि डालने का मौका मिलेगा ? 

 एक सवाल-- यदि राम ने वनवास को अपना दुर्भाग्य मान लिया होता तो क्या वे युवराज रामचंद्र से -- मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम बन पाते ? अगर अर्जुन ने कुरुक्षेत्र को कर्मों की सजा कहा होता तो क्या "गीता " होती ? 


भीड़ में अकेला खड़ा बच्चा – असफलता के बाद सामाजिक दूरी का भावLonely child standing amidst a blurry crowd – portraying social rejection after failure

💚दुःख :विधाता की लाचारी नहीं है | 

 दुख ,हमारे जीवन में इसलिए नहीं आते कि ईश्वर असहाय है या असमर्थ है,बल्कि यह आपको आगे बढ़ाने के लिए ईश्वर की एक योजना हो सकती है | 
                                                 जिस प्रकार एक बच्चा पहली बार चलना सीखता है , माँ जानती है कि- यह गिरेगा तो भी वह उसे गिरने देती है ,एक पिता जब बच्चे को साइकिल चलाना सिखाता है तो वह अपना हाथ छोड़ देता है, बच्चा गिरता है और फिर खड़ा होकर चल पड़ता है | 

इसी प्रकार दुख भी हमें मजबूत करने,जगाने,हमारे भीतर की शक्तियों को प्रकट करने का ईश्वरीय प्रशिक्षण है | 

 💚दुःख : मनोवैज्ञानिक  द्रष्टिकोंण |  

 मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि दुख हमें भीतर से मजबूत बनाता है | " post traumatic growth " सिद्धांत-- बहुत से लोग किसी बड़े आघात के बाद और अधिक आत्मज्ञानी, सहनशील और उद्देश्य पूर्ण बनते हैं | 

         एक कैंसर पीड़ित व्यक्ति अपने इलाज के दौरान जीवन के सच्चे मूल्य को समझता है और शेष जीवन को दूसरों की सेवा में लगा देता है | इस प्रकार से वह उसके जीवन की एक नई शुरुआत बन जाती है |


माँ अपने उदास बच्चे को गले लगाती हुई – निःशब्द सहारा और समझदारीMother hugging her sad child – silent support and empathy

 💚जीवन के दुःख अदृश्य शिक्षक है | 

 जीवन की असली पढ़ाई तब शुरू होती है -- जब पहली बार दिल टूटता है,जब आप असफल होते हो,जब अपनों से धोखा मिलता है या जब भीड़ में भी आप अकेले रह जाते हैं | 

                                                              जीवन का हर दुख एक शिक्षक है लेकिन इसका स्कूल कोई भवन नहीं है बल्कि हमारी त्वचा के नीचे की वे नसें हैं जो हर चोट को याद रखती है | 

                                                                 जैसे - एक होशियार छात्र जो परीक्षा में हर बार अच्छे नंबर लाता है, एक साल असफल हो जाता है | उसकी माँ ने उसे बस इतना कहा -- " अब तुम जान पाओगे कि लोग असफल लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं | " इस दुख से वह बच्चा मानवता का एक नया पाठ सीख गया | 

 💚दुःख जीवन का गुप्त कारीगर है | 

 जिस प्रकार एक मूर्तिकार पत्थर को तब तक हथौड़ों से चोट देता रहता है जब तक कि उसमें से मूर्ति बाहर ना निकल जाए | दुख,वही हथोड़ा है और हम उसके अधूरे पत्थर | 
                                                 सोचिए - एपीजे अब्दुल कलाम यदि अपने छात्र जीवन में पायलट की परीक्षा में असफल नहीं होते , तो क्या वे भारत के राष्ट्रपति बन पाते ? 

                                   दुखों में विधाता का एक अनकहा संदेश छुपा होता है --" माफ करना दोस्त,तुम्हें तोड़ना पड़ा, नहीं तो तुम कभी यह नहीं जान पातें कि तुम धातु नहीं, चिंगारी हो |


पहाड़ी पर चढ़ता थका हुआ व्यक्ति – प्रयास और दृढ़ता का प्रतीकTired person climbing a mountain – symbol of perseverance and willpower

 💚दुःख के तीन चेहरे या संभावित परिणाम होते हैं | 

ध्वंसक--  जब हम दुख में डूब कर नकारात्मकता में फंस जाते हैं | 

 दर्शक--  जब हम केवल दुःख को सहते है, कुछ सीखते नहीं है | 

 पुनर्जन्म -- जब हम दुख से सीख कर शारीरिक,मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से परिवर्तित होते हैं | 



 💚दुःख हमें किस प्रकार पुनर्जन्म देता है |

 दुख हमें निम्न महत्वपूर्ण बातें सिखाता है--

 👉 विनम्रता -- सब कुछ हमारे हाथ में नहीं है | 

 👉 सहानुभूति --  दूसरे के दर्द को समझ पाते हैं | 

 👉 विकास -- जब बाहर कुछ टूटता है तभी अंदर से बदलते हैं |

 👉 आभार -- दुख के बाद ही सुख का मूल्य समझ में आता है |

 यदि इसे समझना है तो -- आप अब तक की जिंदगी के किसी बड़े दुख को याद कीजिए | अब सोचिए- उस समय के बाद क्या आप पहले जैसे रहे हैं ?

गहरे अंधकार में अकेली जलती मोमबत्ती – आशा की लौ A single candle burning in darkness – light of hope

 💚दुःख से संवाद करें | 

 यदि आप अपने जीवन को अर्थ देना चाहते हैं तो दुख से भागने के बजाय उससे बात करना सीखे | इस सम्बन्ध में निम्न बातें महत्त्वपूर्ण है --

 1. दुःख को पहचान कर- उसे नाम दो | 

 दुख,धुंध की तरह होता है जब तक उसे नाम नहीं देंगे,यह घेरे ही रहता है | कागज पर लिखें -- मै इस वक्त किस दर्द में गुजर रहा हूँ ? यह पीड़ा -- असफलता ,डर या अकेलापन कुछ भी हो , जैसे ही इसे नाम देते हैं,संवाद की शुरुआत होती है | 

 2.अपनी आत्मा से पूछे- यह मुझे क्या सिखाने आया है ? 

 अपने मन से यह सवाल करें-- दुःख ,मुझे कहां ले जाना चाहता है ? हर दुःख कुछ सिखाने आता है-- एक सबक , एक चेतावनी या एक नई दिशा |

 3.ध्यान एवं मौन की शक्ति का उपयोग करें |

 हर दिन 10 मिनट आंखें बंद कर शांत बैठे | ध्यान दें -- शरीर में दुख कहां है ? उस जगह को देखे- बिना उसे बदलने की कोशिश किये,केवल महसूस करें | धीरे-धीरे भावना आपसे संवाद करेंगी -- कभी किसी की स्मृति बनकर या कभी आंसू बनकर | धीरे -धीरे दर्द गुजर जायेगा | 

4. दुःख का सम्मान करें,लड़े नहीं |

  " मेरे साथ ही क्यों ? " यह सोचने के बजाय सवाल बदले -- अब मै इससे कैसे गुजरूँ ? कागज पर लिखे ,लिखते रहें | लिखते समय कोशिश न करे कि सही उत्तर मिले - बस बहते रहे ,आपकी कलम में गहरी समझ छिपी है | 

 5. दूसरों के अनुभवों से सीखें | 

 दूसरों के दुखों की कहानी पढ़े | विक्टर ई फ्रैंकल लिखित - "जीवन के अर्थ की तलास में मनुष्य " ( Man's search for meaning ) पढ़े |


ध्यान मुद्रा में व्यक्ति जिसकी आँख में आंसू और चेहरे पर शांतिMeditating person with a tear and a peaceful smile – inner transformation

 

 💚दुःख: दुर्भाग्य है ना अवसर- यह एक द्वार है |

 अवसर तो बाहरी होते हैं- नौकरी, रिश्ते,धन-संपत्ति | लेकिन दुख आपका वह आंतरिक दरवाजा खोलता है जिसे आप वर्षों से बंद किए बैठे हैं -- क्षमा,प्रेम,करुणा,दया,सहानुभूति | 
                                                                        दोस्तों,कहा जा सकता है -- दुःख, उनके लिए दुर्भाग्य है- जो इसे पकड़ कर बैठ जाते हैं ,उनके लिए अवसर है- जो उसे पकड़ खड़े हो जाते हैं लेकिन उन्हें तो यह ईश्वर को पाने  का द्वार ही है जो इससे प्रेम करने लगते हैं |
 
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