मृत्यु के बाद का सत्य !
withrbansal लाइफ बिटवीन लाइव्स -
दोस्तों,अक्सर हमें यह सवाल परेशान करता है कि मृत्यु क्या है, मृत्यु के बाद क्या होता है और मृत्यु के बाद का क्या है सच ? संसार के विभिन्न धर्मों में इस संबंध में अलग-अलग मान्यताएं है | एक और जहां भारतीय सनातन धर्म "जीवन के बाद जीवन "अर्थात अनेकों जीवन की मान्यता को स्वीकार करता है तो दूसरी और ईसाई एवं इस्लाम धर्म इन्हें सिरे से ही खारिज करते हैं | लेकिन वर्तमान में पश्चिम देशों में कई मनोवैज्ञानिकों के द्वारा अपने अनुसंधान में पुनर्जन्म ,आत्मा, आत्मलोक इत्यादि के संबंध में भारतीय सनातन धर्म की मान्यताओं को स्थापित किया गया है |
माइकल न्यूटन, डॉ मूरी ,डॉ स्पेंसर ,डॉ ब्रायन वीज आदि कुछ ऐसे प्रसिद्ध नाम है जिनके द्वारा इस क्षेत्र में वर्षों तक गंभीर रूप से विस्तृत अध्ययन एवं अनुसंधान कर वैज्ञानिक रूप से यह प्रस्थापित किया गया है कि हमारा यह जीवन अनेकों जीवन से बने हमारे महाजीवन के एक दिन की तरह है | जैसे दिन के बाद रात और रात के बाद फिर दिन होता है उसी तरह से हमारी मृत्यु भी रात की तरह है, फिर हम किसी गर्भ में जाएंगे, फिर कहीं जन्म होगा ,फिर एक नया जीवन | यह क्रम चलता रहता है | किसी ने बड़ा ही सुंदर कहा है - "न जन्म कुछ ,न मृत्यु कुछ, बस इतनी सिर्फ बात है | किसी की आंख खुल गई, किसी को नींद आ गई || "
मृत्यु के बाद क्या ? मृत्यु के बाद पराजीवन अर्थात "लाइफ बिटवीन लाइव्स" है | मृत्यु के बाद हम "आत्मलोक" जहां हमारा वास्तविक घर है ,वहीं वापस चले जाते हैं, वहां हम कुछ समय ठहर कर वापस अपनी उर्जा को नवीनीकृत करते हैं और फिर से किसी नवीन जीवन में आ जाते हैं | यहां भूलोक में हमारा वर्तमान जीवन किसी सयोंग ,दैवयोग या बेतरतीब घटनाओं का परिणाम नहीं है| हमारे इस जीवन की रचना हमारे स्वयं की इच्छा के अनुसार हमारी समझ तथा विकास को आगे बढ़ाने हेतु बेहद सावधानी व सूझबूझ के साथ की गई है | जन्म लेने से पूर्व हम स्वयं अपने माता-पिता, जीवनसाथी एवं अन्य संबंधियों का चुनाव करते हैं, जो सामान्यतः वो ही आत्माएं होती है जिनके साथ हम पिछले जन्मों में भी साथ रहे होते हैं | यह भी पढ़े -सोलमेट :जन्म -जन्मांतरों के साथी
जन्म लेने से पहले आत्मलोक में हमें कई विकल्प बताए जाते हैं | विकल्पों में हो सकता है कोई एक लंदन में किसी अमीर घर में जन्म लेने का हो ,दूसरा किसी भारतीय या अफ्रीकन गरीब आदिवासी या दलित परिवार का हो सकता है | एक पिक्चर की तरह यह भी दिखाया जाता है कि किस परिवार में जन्म लेने पर क्या-क्या चुनौतियां होंगी और क्या-क्या अवसर होंगे और आपका जीवन लगभग कैसा होगा | सामान्यतया जो आत्मा तेजी से सीखना एवं विकास करना चाहती है वह कठिन एवं चुनौतीपूर्ण जीवन का ही चुनाव करती है | लेकिन होता यह है कि हमारे स्वयं के द्वारा पाठ सीखने एवं तेजी से विकास करने हेतु कठिन जीवन का चुनाव कर लिया जाता है लेकिन जब धरती पर चुनौतियां आती है तो हम रोने लगते हैं और भूल जाते हैं वह मिशन जिसके लिए हम यहां पृथ्वी पर आए हैं ,भूल जाते हैं कि यह धरती एक पाठशाला है जहां हम सबक सीखने आए है और सारा जीवन दुःखी, परेशान ,रोते -कलपते ,डर -डर कर व्यतीत कर देते हैं, जबकि ऐसा जीवन हमेशा एक अवसर होता है | यह भी पढ़े -आत्महत्या क्यूँ :आध्यात्मिक आयाम
सबक (पाठ) सीखना एवं विकास करना -
हमारे भौतिक शरीर की मृत्यु के बाद जब हम आत्मलोक की ओर प्रस्थान करते हैं तो हम चेतना के एक स्तर जिसे "सीखने का स्तर " कहा जाता है वहां ठहर कर हम हमारे छोड़े गए जीवन का रिव्यू करते हैं | यहाँ पर हम हर उस रिश्ते ,हर उस मुलाकात एवं हर उस बात को पुनः अनुभव करते है जो हमने गुजरे हुए जीवन में जिया था | हम उन लोगो की भावनाओं को अपने ह्रदय में महसूस करते है जिनकी हमने सहायता की थी या चोट पहुँचायी थी ,जिन्हें हमने प्रेम किया था या जिनसे हमने नफरत की थी ,जिन्हें हमने अच्छे या बुरे किसी भी रूप में प्रभावित किया था | ऐसे तमाम लोगों की भावनाएं हमें बड़ी शिद्दत से महसूस होती है ,इस स्तर पर हमें, हमारे द्वारा भौतिक शरीर में रहते हुए दुसरो के प्रति किये गए व्यव्हार का गंभीरता से अहसास होता है | हम अपने रिश्ते -नातो के जरिये ही सर्वाधिक सबक सीखते है | सबसे महत्त्वपूर्ण बात यही है कि हमने किस प्रकार से अपना भौतिक जीवन व्यतीत किया और सम्बन्धो में रहते हुए दूसरों के साथ किस तरह का व्यवहार किया एवं उनके मनों पर क्या प्रभाव छोड़ा | इस प्रकार किये गए रिव्यू के आधार पर हम अपने अगले नए जीवन की योजना तैयार करते है |
माइकल न्यूटन, डॉ मूरी ,डॉ स्पेंसर ,डॉ ब्रायन वीज आदि कुछ ऐसे प्रसिद्ध नाम है जिनके द्वारा इस क्षेत्र में वर्षों तक गंभीर रूप से विस्तृत अध्ययन एवं अनुसंधान कर वैज्ञानिक रूप से यह प्रस्थापित किया गया है कि हमारा यह जीवन अनेकों जीवन से बने हमारे महाजीवन के एक दिन की तरह है | जैसे दिन के बाद रात और रात के बाद फिर दिन होता है उसी तरह से हमारी मृत्यु भी रात की तरह है, फिर हम किसी गर्भ में जाएंगे, फिर कहीं जन्म होगा ,फिर एक नया जीवन | यह क्रम चलता रहता है | किसी ने बड़ा ही सुंदर कहा है - "न जन्म कुछ ,न मृत्यु कुछ, बस इतनी सिर्फ बात है | किसी की आंख खुल गई, किसी को नींद आ गई || "
मृत्यु के बाद क्या ? मृत्यु के बाद पराजीवन अर्थात "लाइफ बिटवीन लाइव्स" है | मृत्यु के बाद हम "आत्मलोक" जहां हमारा वास्तविक घर है ,वहीं वापस चले जाते हैं, वहां हम कुछ समय ठहर कर वापस अपनी उर्जा को नवीनीकृत करते हैं और फिर से किसी नवीन जीवन में आ जाते हैं | यहां भूलोक में हमारा वर्तमान जीवन किसी सयोंग ,दैवयोग या बेतरतीब घटनाओं का परिणाम नहीं है| हमारे इस जीवन की रचना हमारे स्वयं की इच्छा के अनुसार हमारी समझ तथा विकास को आगे बढ़ाने हेतु बेहद सावधानी व सूझबूझ के साथ की गई है | जन्म लेने से पूर्व हम स्वयं अपने माता-पिता, जीवनसाथी एवं अन्य संबंधियों का चुनाव करते हैं, जो सामान्यतः वो ही आत्माएं होती है जिनके साथ हम पिछले जन्मों में भी साथ रहे होते हैं | यह भी पढ़े -सोलमेट :जन्म -जन्मांतरों के साथी
कुछ आत्माएं ऐसी भी होती है जो विकास हेतु अपेक्षित चुनौतियों से बचकर अपना हर जीवन सरल एवं मौज मस्ती भरा चुनती रहती है | ऐसी आत्मा उसके आत्म-मार्गदर्शक द्वारा उसे समझाइए जाने पर ही सबक सीखने हेतु तैयार होती है लेकिन यहां भी जन्म लेने के सम्बन्ध में अंतिम निर्णय उस आत्मा का ही होता है | इस प्रकार एक जीवन एक दिन की तरह है और" लाइफ बिटवीन लाइफ"(पराजीवन )एक रात की तरह है ,जहां हम विश्राम करते हैं और पुनः ऊर्जा प्राप्त कर चुस्त दुरुस्त होकर फिर अगले दिन का सफर शुरू करते हैं |
सबक (पाठ) सीखना एवं विकास करना -
आत्मा के द्वारा बार-बार भूलोक पर भौतिक शरीर में आने के पीछे तीन प्रमुख कारण होते हैं | लेकिन प्रथम एवं प्रमुख कारण- सबक सीखना एवं स्वयं का विकास करना है | हम यहां न केवल प्रेम, आनंद ,करुणा ,दयालुता ,सहिष्णुता आदि का पाठ सीखने आते हैं ,बल्कि अपनी कमजोरियों यथा- लालच, घृणा, क्रोध, ईर्ष्या ,ईगो ,डर आदि पर नियंत्रण करना भी हमारे यहां होने का प्रमुख उद्देश्य होता है | यह भी पढ़े-मृत्यु से इतना भय क्यूँ है ?
हमारे भौतिक शरीर की मृत्यु के बाद जब हम आत्मलोक की ओर प्रस्थान करते हैं तो हम चेतना के एक स्तर जिसे "सीखने का स्तर " कहा जाता है वहां ठहर कर हम हमारे छोड़े गए जीवन का रिव्यू करते हैं | यहाँ पर हम हर उस रिश्ते ,हर उस मुलाकात एवं हर उस बात को पुनः अनुभव करते है जो हमने गुजरे हुए जीवन में जिया था | हम उन लोगो की भावनाओं को अपने ह्रदय में महसूस करते है जिनकी हमने सहायता की थी या चोट पहुँचायी थी ,जिन्हें हमने प्रेम किया था या जिनसे हमने नफरत की थी ,जिन्हें हमने अच्छे या बुरे किसी भी रूप में प्रभावित किया था | ऐसे तमाम लोगों की भावनाएं हमें बड़ी शिद्दत से महसूस होती है ,इस स्तर पर हमें, हमारे द्वारा भौतिक शरीर में रहते हुए दुसरो के प्रति किये गए व्यव्हार का गंभीरता से अहसास होता है | हम अपने रिश्ते -नातो के जरिये ही सर्वाधिक सबक सीखते है | सबसे महत्त्वपूर्ण बात यही है कि हमने किस प्रकार से अपना भौतिक जीवन व्यतीत किया और सम्बन्धो में रहते हुए दूसरों के साथ किस तरह का व्यवहार किया एवं उनके मनों पर क्या प्रभाव छोड़ा | इस प्रकार किये गए रिव्यू के आधार पर हम अपने अगले नए जीवन की योजना तैयार करते है |
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