जीवन रूपी खेल के नियम : चाहो और प्राप्त करो
ब्रह्माण्ड के 3 शाश्वत एवं सार्वभौमिक नियम :
दोस्तों ,मुख्यतः 3 ऐसे सार्वभौम नियम है जिनके बारे में यदि आप समझ या जागरूकता प्राप्त कर इनकी कार्यविधि को समझ लेते है तो दावा है कि आपको जीवन में कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ेगा और जीवन में आप जो चाहो वह बन सकते हो,कर सकते हो या जो चाहो वह प्राप्त कर सकते हो क्योंकि आप इस धरा पर जीवन के लिए संघर्ष करते क्षुद्र जीव नहीं है बल्कि इस सृष्टि के केंद्रबिंदु है ,ब्रह्माण्ड की सभी शक्तियाँ आपके नियंत्रण में है | ये नियम आपको जीवन के उन उद्देश्यों को भी पूरा करने में सहायता देंगे जिनके लिए आपने यह शरीर धारण किया है |
@ इस नियम का इच्छापूर्ति में उपयोग हेतु सर्वप्रथम अपनी इच्छाओं या चाहत को निश्चित करके उन पर डटे रहे ,उस पर खूब विचार करे ,विचार इतने स्पष्ट हो कि आपका आंतरिक अस्तित्व उसे तीव्र भावनाओं \संवेगो का रूप दे सके | जब आपके विचार के साथ प्रबल भावनाएं जुड़ जाएगी तो आप एक चुम्बक के रूप परिवर्तित हो जायेंगे और आप जो भी चाहोगे वह आपको प्राप्त हो जायेगा | यह भी पढ़े -धन -संपत्ति प्राप्ति के सार्वभौमिक एवं अटल नियम
withrbansal दोस्तों, हम सब जानते है कि हम एक अभौतिक स्रोत्र ऊर्जा का ही विस्तारित रूप है अर्थात हमारे भौतिक या शारीरिक अस्तित्व के साथ साथ हमारा अभौतिक स्वरूप भी जुड़ा हुआ है | इस अभौतिक स्वरूप को सामान्यतया आंतरिक अस्तित्व या आत्मा भी कहा जाता है ,हमारे ये दोनों स्वरूप आपस में जुड़े हुए रहते है | हम में से बहुत कम लोग है जो हमारे इस आंतरिक स्व के विषय में जागरूक रहते है | जब हमनें इस भौतिक आयाम में कदम रखा तो हमारे द्वारा कई सारे अनुबंधों को स्वीकार किया गया है और भौतिकी के कई सारे नियम यथा गुरुत्त्वाकर्षण ,समय ,गति आदि हम पर लागू होना शुरू हो जाते है लेकिन इनमें से कोई भी नियम सार्वभौमिक नहीं है क्योंकि बहुत से आयामों में ये नियम लागू नहीं होते है | लेकिन दोस्तों, कुछ ऐसे शाश्वत एवं सार्वभौमिक नियम भी है जो ब्रह्माण्ड की भौतिक एवं अभौतिक सभी वस्तुओ पर समान रूप से लागू हो रहे है और उन्हें प्रभावित कर रहे है | ये नियम अपने आप में पूर्ण ,अनंत व सर्वकालिक है, लेकिन अफ़सोस कि यहाँ बहुत कम लोग ही इन नियमो के बारे में समझ या जागरूकता रखते है | यहाँ अधिकांश लोग खेल के नियमो की जानकारी के बिना ही जीवन रूपी खेल में भाग ले रहे है ऐसे में उन्हें अच्छे बुरे जो भी अनुभव प्राप्त हो रहे है उसे वे विधि का विधान या दैवीय इच्छा या तकदीर मानकर स्वीकार कर रहे है |
दोस्तों ,मुख्यतः 3 ऐसे सार्वभौम नियम है जिनके बारे में यदि आप समझ या जागरूकता प्राप्त कर इनकी कार्यविधि को समझ लेते है तो दावा है कि आपको जीवन में कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ेगा और जीवन में आप जो चाहो वह बन सकते हो,कर सकते हो या जो चाहो वह प्राप्त कर सकते हो क्योंकि आप इस धरा पर जीवन के लिए संघर्ष करते क्षुद्र जीव नहीं है बल्कि इस सृष्टि के केंद्रबिंदु है ,ब्रह्माण्ड की सभी शक्तियाँ आपके नियंत्रण में है | ये नियम आपको जीवन के उन उद्देश्यों को भी पूरा करने में सहायता देंगे जिनके लिए आपने यह शरीर धारण किया है |
प्रमुख 3 शाश्वत एवं सार्वभौम नियम -
1 आकर्षण का नियम (the law of attraction )
2 सुनियोजित सृजन का नियम (The law of planned creation )
3 स्वीकृति का नियम (The rule of acceptance )
इन तीनों नियमो का प्रयोग क्रमिक रूप में किया जाता है अर्थात प्रथम को समझे व उपयोग किये बिना दूसरे को और दूसरे नियम के बिना तीसरे नियम को समझना या उपयोग करना मुश्किल है |
आकर्षण का नियम (The law of attraction ) - ब्रह्माण्ड का सबसे शक्तिशाली प्रथम नियम जो कहता है - "जो एक जैसे होंगे उनमे आकर्षण होगा अर्थात समानता से समानता आकर्षित होती है | "देखने में सरल लेकिन जीवन को प्रभावित करने वाला अद्भुत नियम | आकर्षण का नियम एवं इसकी चुंबकीय शक्ति ब्रह्माण्ड में जाकर उन स्पंदनो को आकर्षित करती है जो एक जैसे होते है और फिर उन्हें आप तक ले आती है | इस नियम के अनुसार जब आपके द्वारा किसी वस्तु ,चाहत ,इच्छा या विचार पर ध्यान केंद्रित किया जाता है तो उससे स्पंदन पैदा होते है और यदि वह ध्यान या जागरूकता अधिक समय तक लगातार बना रहे तो ये स्पंदन प्रबल संवेग बन जाते है और आकर्षण का नियम उस वस्तु ,चाहत ,इच्छा या विचार को आपके जीवन में वास्तविक रूप में प्रकट कर देता है | यहाँ यह ध्यान रहे यदि आपके द्वारा किसी अवांछित चीज़ या जो आप चाहते नहीं पर ध्यान केंद्रित किया गया है तो वह भी आपके जीवन में प्रकट हो जायेगा क्योंकि इस नियम में कुछ भी अपवाद नहीं है ,ब्रह्माण्ड "नहीं" को भी "हाँ "ही समझता है | आप जो चाहते हो या जिस पर विचार करते हो आपको वही मिलता है ,फिर वह आपको पसंद हो या न हो |
सौभाग्य से अच्छी बात यह है कि आप के द्वारा किसी चीज पर विचार करने एवं उसके वास्तविक रूप में प्रकट होने के मध्य समय लगता है | इस बीच आप अपने ध्यान केंद्रण को बदल सकते है इसलिए कभी भी उन बातों या चीजों पर विचार या ध्यान केंद्रित नहीं करे जो आप पसंद नहीं करते हो | लेकिन विचारों पर निगरानी रखना एक कठिन कार्य है ऐसे में आप अपने "आंतरिक अस्तित्व" की मदद ले जो कि आपको" भावनाओं या अनुभूति " के द्वारा निरंतर निर्देशित करता रहता है | यदि आपके द्वारा किसी ऐसे विषय पर विचार किया जा रहा है जो आपके लिए वांछित है तो आपको सकारात्मक एवं अच्छा महसूस होगा और अवांछित इच्छाओं पर विचार करने पर नकारात्मक भावनाएँ महसूस होगी | अतः अपने विचारों को नियंत्रित करने के प्रयास के बजाय अपना ध्यान भावनाओं पर ही केंद्रित रखें जैसे ही आपको अच्छा महसूस ना हो तुरंत सतर्क हो जाये और विचारों को मोड़ ले | यह भी पढ़े -सपनों को हकीकत में कैसे बदलें :सुनियोजित सृजन का सिद्धांत
महत्त्वपूर्ण बातें -
@ आकर्षण के नियम को "प्रेम का नियम" भी कहा जाता है अर्थात आप जिसे भी प्रेम दोगे वह आपकी और आकर्षित होगा | जीवन में आप जो देते हो वही आपको वापस मिलता है यह बात प्रेम ,नफरत ,घृणा ,क्रोध, ,सहयोग ,तिरस्कार सब पर लागू होती है | आपके जीवन में जो भी लोग,घटनाएं या परिस्थितियाँ आती है वे सब आपके द्वारा ही सकारात्मक या नकारात्मक विचारों व भावनाओं के द्वारा आमंत्रित की गई है |
@ आकर्षण का नियम आपके शब्दों या कार्यो पर प्रतिक्रिया नहीं देता है बल्कि शब्दों ,विचारों एवं कार्यो से उत्पन्न स्पंदनो या संवेगो पर कार्य करता है | अधिकांश लोगों की इच्छाएँ इसलिए पूरी नहीं हो पाती क्योंकि उनका ध्यान इच्छाओं पर केंद्रित ना होकर उनकी कमी से जुड़े विचारो पर होता है |
@ अवांछित का प्रतिरोध मत करो क्योंकि प्रतिरोध करने या "नहीं" कहने से आपका ध्यान उस पर केंद्रित हो जाता है और वह आपकी और आकर्षित हो जाता है | जो भी आपको नापसंद हो या जिसे अपने जीवन में ना चाहते हो ,उस पर बिना ध्यान दिए ,बिना किसी प्रकार की भावना रखे धीरे से उससे दूर हो जाये और वांछित पर फोकस बनाये रखे |
@ इस नियम के प्रयोग से उत्तम स्वास्थ्य ,आनंद ,धन -संपत्ति ,सुख -समृद्धि ,अच्छे सम्बन्ध ,आध्यात्मिक विकास सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है |
@ जब भी आप किसी विषय पर विचार करना प्रारम्भ करते है तो आकर्षण का नियम उस पर कार्य करते हुए उस जैसे अन्य विचारों को आकर्षित करने लगता है जिससे वह विचार और शक्तिशाली हो जाता है |
@ इस नियम से दूसरे व्यक्तियों की सहायता भी कर सकते है | यदि कोई दुखी व्यक्ति आपके सामने आता है तो ऐसी स्थिति में आपको उसके कष्टों से किसी प्रकार का जुड़ाव महसूस नहीं करना है बल्कि उनके कष्टों के सफल समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करना है ऐसा करने से आप उसकी मदद भी कर पाएंगे और उसके कष्ट आपके अनुभव में भी शामिल नहीं होंगे |
सृजन कक्ष प्रक्रिया - इस नियम के प्रयोग में हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि हम जीवन भर यही निश्चित नहीं कर पाते कि हम चाहते क्या है | हम इतने अंतर्विरोधी इच्छाओं ,विचारो एवं चाहतों से घिरे रहते है कि हम ब्रह्माण्ड को स्पष्ट स्पंदन भेज ही नहीं पाते ,फलस्वरूप हम कहीं भी नहीं पहुँच पाते | विचारो में प्रबल चुंबकीय शक्ति उत्पन्न करने हेतु "एस्थर एवं जैरी" द्वारा एक प्रतिदिन की जाने वाली 20 मिनट की "सृजनात्मक प्रक्रिया" बताई गई है -
आप अपने घर या व्यवसाय स्थल पर कोई एक ऐसा कक्ष (सृजन कक्ष ) चुन ले जहाँ कोई बाधा ना डाले या ध्यान भंग न हो | यह प्रक्रिया तभी शुरू करे जब आप प्रसन्नचित्त हो | प्रसन्नचित्त से तातपर्य ऐसी हल्की उत्साहपूर्ण संवेदना से है जहाँ सब कुछ अच्छा सा लगता है | ऐसी अवस्था प्राप्ति हेतु आप कुछ देर अपना मनपसंद कार्य यथा बुक रीडिंग ,संगीत,व्यायाम आदि कुछ भी कर सकते है | इस अवस्था में आने के बाद आपको शांति से सृजन कक्ष में बैठकर लगभग 15 से 20 मिनट तक अपने जीवन के वास्तविक अनुभवों द्वारा संग्रहित डेटा को आत्मसात कर अपनी मनचाही तस्वीर निर्मित करना है | इस प्रक्रिया के साथ साथ आप घर दोस्तों पर, काम पर जाते समय ,काम पर अंतर्क्रिया के समय ,दोस्तों या रिश्तेदारों से बात करते समय सृजन कक्ष में उपयोग हेतु अपना मनपसन्द डेटा मानसिक स्टोर करते रहे ,यह कोई भी चीज यथा पसंदीदा कार ,बँगला ,व्यवसाय आदि कुछ भी हो सकता है जो आप अपने जीवन में शामिल करना चाहते है | इसके बाद जब आप सृजन कक्ष में बैठे तो इस डेटा को आत्मसात कर अपनी मनपसंद वस्तु को अनुभव करे और पसंदीदा चीजों को स्वीकार करते हुए अपनी तस्वीर निर्मित करे | जैसे सुख -समृद्धि के लिए -
"मैंने यह जान लिया है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मेरे लिए अनंत संभावनाएं है | मेरे पास ऐसा बैंक अकॉउंट है जिसमे अनंत राशि है ,मेरे पास धन की कोई कमी नहीं है | मै मेरी इच्छा के आधार पर कुछ भी खरीद सकता हूँ क्योंकि मेँ वह चुम्बक हूँ जो कभी भी,कितनी भी समृद्धि ,स्वास्थ्य व रिश्तों को आकर्षित कर सकता हूँ | "
दोस्तों ,यह दुनियाँ एक ऐसी किचन है जिसमे चिंतन ,मनन ,कल्पना एवं ध्यान में आने वाली सभी संभावित सामग्री प्रचुर एवं कभी न समाप्त होने वाली मात्रा में भरी हुई है और आप इस किचन के शेफ है | आप अपनी इच्छा से इस किचन में रखी हुई सामग्री में से कुछ भी और कितनी भी मात्रा में लेकर अपनी पसंदीदा डिश बना सकते है |शेष अगले लेख में ------------
%%%
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
आपको मेरी यह पोस्ट कैसी लगी ,कृपया सुझाव, शिकायत टिप्पणी बॉक्स में लिखकर बताये