सपनों को हकीकत में कैसे बदलें :सुनियोजित सृजन का सिद्धांत
- withrbansal मनचाही चीज को अपने जीवन में कैसे प्रकट करें :-
दोस्तों, पिछले लेख में ब्रह्मांड के सार्वभौमिक तीन नियमों में से एक प्रथम नियम "आकर्षण का नियम " के बारे में विस्तृत रूप से वर्णित किया गया था जो कहता है कि-" जो एक जैसे होंगे उनमें आकर्षण होगा " या "समान पंख वाले पक्षी एक साथ उड़ते हैं " | आकर्षण का नियम और उसकी स्पंदन शक्ति ब्रह्मांड में जाकर उन स्पंदनो को आकर्षित करती है जो एक जैसे होते हैं फिर वह उन्हें आप तक ले आती है | आप जिस पर ध्यान केंद्रित करेंगे वह आपको प्राप्त होगा फिर चाहे वह आपको पसंद हो या नापसंद | इस नियम के द्वारा यह स्पष्ट होता है कि हमारे जीवन में कोई चीज या वस्तु या अनुभव किस प्रकार शामिल होते हैं | अधिकांश व्यक्ति अपने विचारों की शक्ति,अपने स्पंदनो की प्रकृति एवं आकर्षण के नियम के बारे में नहीं जानते हैं इसलिए वेअपनी इच्छा पूर्ति हेतु कठोर कर्म का सहारा लेते हैं | हालांकि इस भौतिक संसार में कर्म या मेहनत एक महत्वपूर्ण घटक है लेकिन आप कर्मों के द्वारा अपने जीवन में अच्छी या बुरी चीजों को प्राप्त नहीं करते हैं आप स्वयंअपने जीवन के अच्छे बुरे सभी अनुभवों का सृजन कर रहे हैं लेकिन यह प्राथमिक रूप से कर्मों के द्वारा न होकर विचारों के द्वारा हो रहा है | यह भी पढ़े -जीवन रूपी खेल के नियम : चाहो और प्राप्त करो- बहुत से लोग जब उनके जीवन में कोई दुखद अनचाही घटना या नापसंद चीजें शामिल होती है तो वे इस आकर्षण के नियम का विरोध करते हुए कहते हैं कि इन्हें मैंने आमंत्रित नहीं किया है लेकिन सच तो यही है कि आप ही इन्हें अनजाने में ही आमंत्रित, आकर्षित या सृजित कर रहे हैं | आकर्षण के नियम के ज्ञान से ही आप यह समझ सकते हैं कि जीवन मेंआपको जो कुछ मिल रहा है वह कैसे मिल रहा है, इससे आप अपने जीवन का नियंत्रण अपने हाथ में ले सकते हैं |
दोस्तों, जब यह बात स्पष्ट है कि हमारे जीवन में जो कुछ भी हो रहा है वह हमारे स्वयं के विचारों द्वारा आकर्षित किया गया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने विचारों पर पहरा लगा दे, जो कि एक बहुत ही समय लेने वाला ,बोझिल एवं मुश्किल कार्य है | ऐसे में बजाय विचारों के नियंत्रित करने के आप अपनी भावनाओं पर ध्यान दें ,यदि आपको अच्छी भावनाएं या अच्छा महसूस कर रहे हैं तो उसका मतलब यह कि उस समय आप जो भी सोच रहे हैं,बोल रहे हैं या कर रहे हैं वहआपकी इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप है और जब भी बुरा महसूस करें तो समझ ले कि आप उस क्षण अपनी इच्छाओं के सामंजस्य में नहीं है | यह भी पढ़े -टेस्ला कोड या दिव्य नंबर "369" से सफलता कैसे प्राप्त करें
सुनियोजित सृजन का सिद्धांत (creation theory ) - आकर्षण का नियम, जो यह बताता है कि आपको जीवन में जो कुछ प्राप्त हो रहा है वह किस तरह से प्राप्त हो रहा है वहीं सुनियोजित सृजन का सिद्धांत इससे एक कदम और आगे बढ़कर कहता है कि हम अपनी इच्छाओं के प्रति अधिक सोद्देश्यपूर्ण ,अपनी आकांक्षाओं के प्रति अधिक स्पष्ट एवं भावनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील रहकर जीवन में मनचाही चीज, वस्तु, व्यक्ति या अनुभव का सुनियोजित तरीके से सृजन कर सकते हैं | इस सिद्धांत के दो भाग है | प्रथम- इच्छाओं से जुड़े विचार और द्वितीय- इच्छाओं,आकांक्षाओं की पूर्ति में विश्वास |
उदाहरण के लिए जब आप कहते हैं कि मुझे एक नई कार चाहिए तो इस विचार के द्वारा आप नई कार को अपने जीवन में शामिल करने की शुरुआत कर रहे हैं | अब आप इस विचार पर जितना अधिक ध्यान केंद्रित रखेंगे और उसे प्राप्त करने की कल्पना को जितना अधिक स्पष्ट एवं सजीव बनाएंगे आप में उत्साह उतना ही अधिक बढ़ता जाएगा | आप में जितना अधिक उत्साह या विश्वास होगा या इसकी प्राप्ति के संबंध में जितने अधिक सकारात्मक विचारों का निर्माण होगा, आपको यह कार उतनी ही जल्दी प्राप्त हो जाएगी | क्योंकि यह कार बन चुकी है, वह अभी मौजूद है, बस आपको उसे स्वीकार करना है | लेकिन यह ध्यान रहे कि आप प्राप्ति की क्षमता पर संदेह नहीं रखें और ना ही उसकी अनुपस्थिति पर ध्यान केंद्रित करें | इस हेतु आप अपनी "भावनात्मक मार्गदर्शन प्रणाली "का उपयोग करें | जब आपका ध्यान अपनी इच्छा पूर्ति पर केंद्रित होता है तो आप अच्छा महसूस करते हैं और जब आपका ध्यान इच्छित वस्तु की कमी या अनुपस्थिति पर केंद्रित होता है तो आपको बुरी अनुभूति होती है, क्योंकि जब आप उन वस्तुओं की अनुपस्थिति पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो आपके पास नहीं है तो आप उन्हें अपने आप से दूर कर रहे होते हैं | यह भी पढ़े -धन -संपत्ति प्राप्ति के सार्वभौमिक एवं अटल नियम-
सुनियोजित सृजन की व्यवहारिक तकनीक - इस सरल तकनीक के द्वारा आप अपना कोई भी सपना,इच्छा ,आकांक्षा या आवश्यकता को आसानी से पूरा कर सकते हैं वह भी शत प्रतिशत गारंटी के साथ | इसमें आपको करना यह है कि आप तीन कागज के पेपर ले | इन तीनों में विषय के तौर पर सबसे ऊपर अपनी कोई एक इच्छा या आकांक्षा लिखे | प्रथम पेपर में उक्त इच्छित विषय के नीचे लिखे - "मुझे यह वस्तु इसलिए चाहिए कि.............."| अब यहां आपको जो भी कारण समझ में आए या जो भी दिमाग में आए सब लिख डालिए | इसमें वही लिखे जो सामान्य तरीके से विचार में आए ,अधिक प्रयास ना करें | द्वितीय पेपर में लिखें - "इन कारणों के चलते मैं मानता हूं कि मैं इसे प्राप्त कर सकता हूं..............| " इस प्रकार प्रथम पेपर पर आपने अपनी इच्छा लिखी अर्थात सुनियोजित सृजन के सिद्धांत का प्रथम हिस्सा ( इच्छा का प्रकटीकरण ) एवं द्वितीय पेपर में आपने इसकी प्राप्ति के प्रति विश्वास प्रकट किया जो कि द्वितीय भाग (इच्छाओं,आकांक्षाओं की पूर्ति में विश्वास ) को पूरा करता है | इस प्रकार आपने सृजन प्रक्रिया के दोनों भागों को सफलतापूर्वक संपादित कर अपने स्पंदनों को सक्रिय कर दिया है | अंतिम पेपर में आप लिखें - "मैं इसे पाकर महसूस कर रहा हूं .......... " और उसे वास्तविक रूप में महसूस भी करें | | अब आप अपनी आकांक्षा के पूरा होने की स्थिति में पहुंच गए हैं | अब आवश्यकता है कि आप इसे पूरा होने तक अपनी इच्छा को बनाए रखें, अंततः वह आपको मिल जाएगी | - इस तकनीक के द्वारा आप एक साथ कई वस्तुओं का सृजन या इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं लेकिन प्रारंभ में जब आप विचारों को केंद्रित करना सीख ही रहे हैं तो दो या तीन इच्छाओं पर ही ध्यान केंद्रित करें,क्योंकि यदि इच्छाएं ज्यादा होगी तो उनमें से कई के पूरा न होते देख आपका विश्वास डगमगा सकता है | ज्यादा प्रभावी तरीके से इस तकनीक के प्रयोग हेतु आप सृजन कक्ष प्रक्रिया एवं इस हेतु डाटा एकत्रीकरण का साथ साथ उपयोग करें |
यधपि प्रत्येक विचार में सृजन क्षमता होती है लेकिन जिन विचारों के साथ सकारात्मक या नकारात्मक गहरे भाव न जुड़े हो वह विचार तब तक आपके जीवन में प्रकट नहीं हो सकते | अतः गहरी भावनाओं से लिपटे हुए विचार ही आपके जीवन में कोई चीज को वास्तविक रूप में प्रकट कर सकते हैं | आध्यात्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि हमारे इस भौतिक अस्तित्व से परे भी हमारा एक अस्तित्व है जिसे अभौतिक या आंतरिक अस्तित्व कहते हैं जो कि बहुत विशाल एवं बुद्धिमान है | वह हमारे वर्तमान जन्म के साथ-साथ अब तक के सभी पूर्व जन्मों से भी परिचित है | हमारा यह आंतरिक अस्तित्व लगातार हमें हमारे विचारों, शब्दों एवं कार्यों के बारे में सटीक एवं स्पष्ट जानकारी प्रदान करता रहता है कि उक्त कार्य, शब्द या विचार हमारे लिए सही है या नहीं | यह कार्य इसके द्वारा हमारे मन में उत्पन्न होने वाली अच्छी या बुरी भावनाओं के माध्यम से किया जाता है | नकारात्मक भावनाएं तभी उत्पन्न होती है जब हमारे कार्य, शब्द या विचार गलत है | इस कारण जैसे ही आप को नकारात्मक भावनाएं महसूस हो तो तुरंत कार्य को रोक दें और अपना ध्यान उन चीजों पर लगाए जो आपको अच्छी लगती हो | यह भी पढ़े -भगवान श्री रमण महर्षि : पवित्र लाल पर्वत के महान योगी
करने योग्य कार्य- @ प्रतिदिन 15 से 20 मिनट तक किसी शांत स्थान पर चुपचाप बैठ कर इस प्रक्रिया का अभ्यास करें |- @ अपनी पसंद की चीजों की सूची तैयार करें | इन पसंदीदा चीजों का कॉकटेल बनाए | इनसे जुड़े हुए परिदृश्य की रचना करें और आपको अच्छा लगने वाला स्वयं के जीवन का मानसिक चित्रण करें |
- @ आप अपने नियमित कार्य करते समय जो भी आपको पसंदीदा दिखे उनका डाटा अपने मस्तिष्क में स्टोर करते रहे ताकि सृजन कक्ष में इसका प्रयोग किया जा सके |
- @ संभव हो तो ऐसे स्थानों पर जाए जहां आपकी वांछित वस्तु मौजूद हो क्योंकि तब आप अच्छा महसूस कर रहे होंगे जो कि आपकी तरफऔर ज्यादा अच्छा लगने वाली वस्तुओं को आकर्षित करेगी | @ इच्छित वस्तु की सृजन प्रक्रिया में आप केवल अंतिम परिणाम के सार के ही कल्पना करें न कि वह वस्तु कब, कहां एवं किस प्रकार प्राप्त हो, से सम्बंधित विस्तृत विवरण ब्रह्मांड पर ही छोड़ दें |
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तो दोस्तों ,आइये" सुनियोजित सृजन " के इस सिद्धांत का उपयोग करके अपने सपनों एवं आकाँक्षाओं को पूरा करें | जब इस असीम ब्रह्मांड में असीमित संसाधन मौजूद है तो हम क्यूँ अभावों में जियें | क्यों न हम इस धरा के समस्त सुखों का उपभोग करें जिन्हें अब तक हमने ही पाने से रोक रखा है | इति | शंका-संदेह हेतु कृपया कमेंट बॉक्स में संपर्क करें | withrbansal - @@@@@
It's really admirable how u always see Ur projects through from conception to completion.....
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