विपस्सना मेडिटेशन-मृत्यु से पहले जीवन को समझना होगा
withrbansal विपश्यना (Vipassana )मेडिटेशन : एक चमत्कारिक उपकरण -
दोस्तों ,अक्सर लोग मृत्यु के बारे में जानना चाहते हैं कि मृत्यु के बाद क्या होता है ? लेकिन जीवन की असली गुत्थी यह नहीं है कि मरने के बाद क्या होता है | असली मुद्दा यह है कि मरने के पहले क्या होता है,अगर हमें मृत्यु को समझना है तो पहले जीवन को समझना होगा | जीवन को समझने का एक शक्तिशाली उपकरण है- "विपश्यना" | आपने कई बार" विपश्यना(vipssana ) " शब्द सुना और पढ़ा होगा और इसे ध्यान की सैकड़ों तकनीकों में से एक मान कर अनदेखा कर दिया होगा | लेकिन "विपश्यना" ध्यान की एक तकनीक मात्र नहीं है ,यह तो समग्र रूप से जीवन को जीने का एक तरीका है | यह भी पढ़े -मृत्यु क्या है,क्यूँ हम इससे सहज नहीं हो पाते
विपश्यना मेडिटेशन क्या है ? "विपश्यना" विज्ञान भैरव तंत्र से संबंधित एक प्राचीन एवं अद्भुत ध्यान तकनीक है | भगवान बुद्ध द्वारा बुद्धत्व प्राप्त करने में इस पद्धति का प्रयोग किया गया था | इसलिए इसे गौतम बुद्ध की ध्यान विधि भी कहा जाता है | इसका शाब्दिक अर्थ है- विशेष प्रकार से देखना | वास्तविकता को देखना अर्थात जो जैसा है वैसा ही देखना | भगवान बुद्ध कहते हैं -"इहि पस्सिकों" अर्थात आओ और देखो | यह तकनीक प्रसिद्ध विज्ञापन लाइन "पहले इस्तेमाल करो,फिर विश्वास करो "की तर्ज पर है अर्थात आपको ईश्वर या आत्मा को मानने की जरूरत नहीं है आप स्वयं देखो और जो जैसा है वैसा ही दर्शन करो | यह आत्मनिरीक्षण(आत्मज्ञान) अर्थात जीवन के बारे में जानने की एक शक्तिशाली पद्धति है | जिसे 1969 ईस्वी में म्याँमार से भारत आए व्यवसायी श्री सत्यनारायण गोयनका जी ने लोकप्रिय बनाया | आचार्य रजनीश उर्फ़ ओशो भी इसके प्रबल समर्थक थे | यह "वर्तमान(Now )" में जीने की कला का एक सशक्त उपकरण है |
विपस्सना मेडिटेशन कैसे किया जाता है - इसका अभ्यास कहीं भी एवं किसी भी समय किया जा सकता है लेकिन सुबह जल्दी एवं रात को सोने से पहले श्रेष्ठ माना जाता है | ध्यान की इस तकनीक में आप किसी एकांत स्थान पर पालथी मारकर (सुखासन में )आंखें बंद कर बैठ जाएं और अपना पूरा ध्यान नाक से आती-जाती सांसों पर एकाग्र करने का प्रयास करें | आप अपनी साँस को नियंत्रित करने या किसी खास ढंग से सांस लेने की कोशिश ना करें बल्कि जैसी भी सांस आ रही है या जा रही है उसे निरपेक्ष या साक्षी भाव से देखने की कोशिश करें | सिर्फ पूर्ण जागरूकता के साथ "वर्तमान" क्षण की वास्तविकता पर ध्यान दें, वह वास्तविकता चाहे जो भी हो | जब सांस अंदर आ रही हो तो आप को सिर्फ इस बारे में सचेत रहना है कि सांस अंदर आ रही है जब सांस बाहर निकल रही हो तो आपको सिर्फ इस बारे में सचेत रहना है कि अब सांस बाहर जा रही है | सांसो पर ध्यान एकाग्र करने की इस प्रक्रिया में आपका ध्यान बार-बार भटकेगा और आप महसूस करोगे कि आपका अपने मस्तिष्क पर कितना कम नियंत्रण है लेकिन यह सब सामान्य है इससे आपको विचलित या निराश नहीं होना है एवं वापस ध्यान को मोड़कर सांसो पर केंद्रित करना है | धीरे-धीरे आपकी एकाग्रता का समय बढ़ता जाएगा और सांसो के इस चक्र को ( विपश्यना में "आनापान साधना "कहा जाता है) देखते-देखते आपके चित्त के सारे रोग गायब हो जाएंगे और आपको पता चल जाता है कि-"आप शरीर नहीं है " "आप मन भी नहीं है" "श्वास भी नहीं है "फिर कौन है ? इसको आप जान जाएंगे लेकिन आपका वह जानना "गूंगे के गुड़" जैसा होगा, अर्थात आप महसूस कर पाएंगे लेकिन किसी को बता नहीं पाएंगे |
श्वांस महत्वपूर्ण है ,क्योंकि श्वांस ही वह पुल है जो हमारे शरीर एवं आत्मा को जोड़े रखती हैं और हमारे जीवन की डोर को थामे रखती हैं | इसके द्वारा ही हमारे विचार एवं भावनायें संचालित होते हैं | हमारे दुखों का कारण हमारी भावनाएं है, जो कि सांसो से जुड़ी होती है | भाव बदलो तो श्वांस बदल जाती है और श्वांस को बदलने से भाव बदल जाते हैं | भावों के साथ ही हमारे श्वांस की गति एवं लय दोनों बदल जाते हैं | क्रोध में श्वाँस अलग तरह से चलती है, प्रसन्नता में अलग तरह से चलती है | दुख में अलग तरह से चलती है तो सुख में अलग तरह से चलती है |
विपस्सना ध्यान (vipassna meditation ) के द्वितीय स्तर पर आपको अपनी सांसों के साथ-साथ अपने संपूर्ण शरीर की संवेदनाओं/अनुभूतियों पर ध्यान एकाग्र करना होता है | परम आनंद या आह्लाद जैसी विशेष अनुभूतियों पर नहीं बल्कि अत्यंत सामान्य एवं सांसारिक अनुभूतियों यथा सर्दी, गर्मी, दबाव, दर्द,जलन आदि पर | क्योंकि विपस्सना ध्यान इस अंतर्दृष्टि पर आधारित है कि हमारा दिमाग हमारे शरीर से बहुत नजदीकी से जुड़ा होता है और हमारा दिमाग हमेशा हमारी शारीरिक अनुभूतियों पर ही प्रतिक्रिया करता है ना की किसी बाहरी चीज पर | जब कोई अनुभूति अप्रिय होती है तो हम उससे दूर होना चाहते हैं और जब अनुभूति सुखद होती है तो प्रतिक्रिया में हम वैसी ही अधिक अनुभूति की लालसा करते हैं | जैसे क्रोध को ही ले, यह हमें कैसे महसूस होता है ? जब हम किसी बात पर क्रोधित होते हैं तो हमारा ध्यान क्रोध से हमारे शरीर में होने वाली अनुभूतियों पर न होकर उस चीज पर होता है जो किसी ने की या कहीं होती है |
कहने का तात्पर्य यह है कि अनुभूतियों पर ध्यान केंद्रित करते- करते आपको यह चीज अच्छी तरह से समझ में आने लगती है कि आपके दुख का मूल कारण आपका मस्तिष्क है | जब आप कुछ चाहते हैं और वह नहीं होता है तो प्रतिक्रिया में आपका दिमाग दुख उत्पन्न करता है | अतः दुख कोई बाहरी दुनिया द्वारा पैदा की गई वस्तुनिष्ठ परिस्थिति नहीं है बल्कि अपने स्वयं के दिमाग द्वारा उत्पन्न की गई एक मानसिक प्रतिक्रिया है | इस प्रकार से जब आप अपने दिमाग के कार्य करने के तरीकों को जान जाते हैं तो दुखों से मुक्ति की और भी बढ़ने लगते हो | यह भी पढ़े -आत्मज्ञान प्राप्ति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा हमारा मन है |
विपश्यना करने के फायदे - # इसके नियमित अभ्यास से तनाव दूर होकर मन शांत होता है | शारीरिक सौंदर्य एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि , निरोगी काया प्राप्त होती है | आत्मविश्वास एवं एकाग्रता में वृद्धि होने के साथ-साथ दुखों का नाश होता है |
तो दोस्तों, हालांकि यह सच है कि" विपस्सना ध्यान" दुनिया की सारी समस्याओं का कोई जादुई समाधान नहीं है | आपको इस प्रतिस्पर्धा युक्त संसार में अपना स्थान बनाने के लिए निश्चित रूप से कर्म करने की जरूरत होती है, लेकिन यह भी निश्चित है कि "विपस्सना ध्यान "हमारे कर्मों को लीवरेज कर कई गुना फल प्रदान करने में मदद करता है | यदि आप "विपस्सना मेडिटेशन" के साथ कर्म करते हैं तो आप जिस भी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं उस क्षेत्र की ऊंचाइयों को छूने से आपको कोई भी नहीं रोक सकता | जैसा की प्रसिद्ध लेखक" युवाल नोआह हरारी "ने कहा है कि- " विपस्सना ध्यान के अभ्यास से मिलने वाली एकाग्रता और स्पष्टता के बिना मै "सेपियंस" और "होमोडेयस" न लिख सका होता | " यूट्यूब पर देखे -
कहने का तात्पर्य यह है कि अनुभूतियों पर ध्यान केंद्रित करते- करते आपको यह चीज अच्छी तरह से समझ में आने लगती है कि आपके दुख का मूल कारण आपका मस्तिष्क है | जब आप कुछ चाहते हैं और वह नहीं होता है तो प्रतिक्रिया में आपका दिमाग दुख उत्पन्न करता है | अतः दुख कोई बाहरी दुनिया द्वारा पैदा की गई वस्तुनिष्ठ परिस्थिति नहीं है बल्कि अपने स्वयं के दिमाग द्वारा उत्पन्न की गई एक मानसिक प्रतिक्रिया है | इस प्रकार से जब आप अपने दिमाग के कार्य करने के तरीकों को जान जाते हैं तो दुखों से मुक्ति की और भी बढ़ने लगते हो | यह भी पढ़े -आत्मज्ञान प्राप्ति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा हमारा मन है |
विपश्यना मेडिटेशन के 10 दिन - विपश्यना मैडिटेशन सेंटर्स पर 10 दिवसीय आवासीय शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है | प्रारंभिक तौर पर इन शिविरों में 5 नियमों- सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य एवं नशा निषेध का अनिवार्य रूप से पालन किया जाना होता है | इन शिविरों में "आनापान साधना"( सांसो पर ध्यान एकाग्र करना )एवं संवेदनाओं और अनुभूतियों पर ध्यान केंद्रित करना सिखाया जाता है ,साथ ही साथ "विपस्सना ध्यान" अंतर्गत सिर से लेकर पैर तक शरीर के प्रत्येक अंग में से मन को गुजारने एवं उसमें होने वाली संवेदनाओं पर ध्यान केंद्रित करना सिखाया जाता है | शिविर के नियम अपेक्षाकृत कठोर होते हैं | 10 दिन आर्यमौन (वाणी एवं शरीर दोनों से मौन ) का पालन के साथ-साथ एक समय भोजन, 10 घंटे प्रतिदिन ध्यान, मोबाइल फोन, गैजेट,पुस्तके इत्यादि प्रतिबंधित होते हैं | शिविर में भाग लेने हेतु रजिस्ट्रेशन " विपश्यना इंटरनेशनल अकादमी" -धम्मगिरी इगतपुरी नासिक( महाराष्ट्र )की वेबसाइट (www.vridhamma.org) पर करा सकते है |राजस्थान में भी जयपुर क़े गलता जी में विपस्सना साधना केंद्र संचालित है, जहाँ 10 दिवसीय विपस्सना मेडिटेशन कोर्स कराया जाता है l
कार्य एवं निर्णय क्षमता में जबरदस्त वृद्धि होने से लक्ष्य प्राप्त करना सरल हो जाता है | # यह आपको "वर्तमान" में जीवन जीना सिखाता है, क्योंकि खुशी,अतीत या भविष्य में नहीं है, बल्कि अभी यहीं और इस समय में ही है | # विपस्सना ध्यान को आप कभी भी और कहीं भी उठते, बैठते, चलते, कार्य करते, सफर करते,हर समय कर सकते हैं बस आपको हर समय अपनी सांसो को महसूस करना होता है जिससे आप धीरे-धीरे अपने मन से मुक्त होना शुरू कर देते हैं | # सांसों पर ध्यान केंद्रित करने से आप इस बात को समझ सकते हैं कि जब एक पल समाप्त होता है और दूसरा पल शुरू होता है तब आपके साथ क्या घटित होता है , तो आप इस बात को भी समझ लेंगे कि मृत्यु के चरण में आपके साथ क्या होगा | यह भी पढ़े -मेडिटेशन :शरीर एवं मन की सीमा से परे जाकर जीने का तरीका -
%%%%%
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
आपको मेरी यह पोस्ट कैसी लगी ,कृपया सुझाव, शिकायत टिप्पणी बॉक्स में लिखकर बताये