आत्महत्या क्यूँ ? :आध्यात्म में छुपा है इसका रहस्य

withrbansal               सुसाइड एवं अध्यात्म -

अभी हाल ही में कोटा में कोचिंग छात्रों क़े द्वारा एक क़े बाद एक आत्महत्या किये जाने से आत्महत्या पुनः एक बार चर्चा में आ गया है, इससे पूर्व प्रत्युषा बनर्जी ,मनमीत ग्रेवाल ,कुशल पंजाबी ,जिया खान एवं सुशांत सिंह राजपूत सहित एक के बाद एक कई फिल्म एवं टीवी सितारों के आत्महत्या कर लिए पर आत्महत्या सम्बन्धित मुद्दा काफी चर्चित रहा है | हालांकि सुसाइड या स्वयं को नष्ट करने का यह सिलसिला कोई नवीन घटना नहीं है | प्राय समय-समय पर  हर वर्ग ,जाति ,धर्म ,समुदाय ,राष्ट में इस तरह के मामले सामने आते रहे है |

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                                                              रोमन सम्राट नीरो ,इजिप्ट रानी क्लियोपेट्रा ,अडोल्फ हिटलर ,वर्जीनिया वुल्फ ,एक्ट्रेस मर्लिन मुनरों जर्नलिस्ट अर्नेस्ट हेमिंग्वे ,कॉमेडियन रोबिन विलियम्स इत्यादि इस कड़ी की विश्व प्रसिद्ध हस्तियाँ रही है | भारतीयों में भी प्रसिद्ध फिल्म सितारें गुरुदत्त ,सिल्क स्मिता ,परवीन बॉबी ,दिव्या भारती,मनमोहन देसाई ,आध्यात्मिक गुरु भैय्यू जी महाराज ,उद्योगपति वी जी सिद्धार्थ आदि कुछ ऐसे नाम रहे है जिन्होंने अपने आपको वक्त से पहले समाप्त कर लिया |                                                                                                                यह माना जाता है कि आज भी विश्व में  हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है | विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा इसी वजह से प्रतिवर्ष 10 सितम्बर को 'वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे 'के रूप में मनाया जाता है |  

सुसाइड के स्पिरिचुअल आस्पेक्ट्स
 
आत्महत्या के कारण -                                                                                                                  सांसारिक द्रष्टि से आत्महत्या के प्रमुख कारणों में -आर्थिक तंगी ,बेरोजगारी ,कर्जा ,पारिवारिक क्लेश, प्रेम सम्बन्ध ,भय ,असाध्य बीमारी ,पढ़ाई का दबाब, परीक्षा में फेल होना या अच्छा नहीं कर पाना ,कार्यस्थल के दबाब ,भावनात्मक क्षति,सामाजिक शर्मिन्दगी ,अपराध बोध ,अकेलापन ,आभासी दुनिया का प्रभाव ,मादक पदार्थो की लत ,अति -महत्त्वकांक्षा ,गंभीर अवसाद ,कतिपय मानसिक रोग आदि माने जाते है | हालांकि उक्त सारे कारण सतही है लेकिन सही समझ के अभाव में ये कई बार जीवन पर  भारी पड़ जाते है | 
लक्षण -                                                                                                                         सामान्यतया आत्महत्या करने वाले व्यक्ति में दिखाई दिए जाने वाले लक्षणों में -सामाजिक सम्पर्को से दूरी बना लेना ,सामान्य दिनचर्या में बदलाब ,भावनात्मक अस्थिरता या बार -बार मूड़ बदलना ,मादक पदार्थो का उपयोग बढ़ा देना ,सम्पत्ति को बेचना या नष्ट करना ,असामान्य व्यव्हार ,नकारात्मक विचार ,अत्यधिक खुश होने का प्रदर्शन आदि दिखाई देते है |                                                                                                                                                                               अर्थात ऐसे व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है ,उसे अपने जीवन का कोई अर्थ या उद्देश्य दिखाई नहीं देता और मृत्यु ही उसे अपनी सारी परेशानियों का हल दिखाई देने लगता है

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 सुसाइड के उक्त सभी कारण एवं लक्षण तात्कालिक है | सुसाइड के असल कारण आध्यात्मिक है | इसके बारे में यदि गहराई से सही समझ विकसित करनी है तो हमें आत्महत्या के पीछे के आध्यात्मिक आयाम को समझना होगा तभी इस महामारी पर रोक लगायी जा सकती है | 
आत्महत्या का आध्यात्मिक कारण  -                                                                        आध्यात्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि हमारा वास्तविक घर आत्मलोक है और यह पृथ्वी लोक हमारी पाठशाला है जहाँ हम समय -समय परअपने आत्मिक मार्गदर्शक के निर्देशन में रिश्तों के माध्यम से आत्मविकास हेतु प्रशिक्षण ,सीखने,परीक्षा देने हेतु आते रहते है और अपना कार्य समाप्त हो जाने जाने पर वापस अपने घर लौट जाते है |                                                                                                                                                                      यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि कोई भी आत्मा इस भूलोक पर जन्म लेने से पहले स्वयं यह तय करती है कि वह किस स्थान -समय पर किस परिवार में जन्म लेगी तथा किन परिस्थितियों ( सरल या कठिन ) में अपना जीवन बिताकर अपने आत्मविकास का कार्य सम्पन्न करेगी | सामान्यतया आत्माएं तेजी से सीखने एवं विकास करने हेतु दुःखद, कठिन एवं संघर्षपूर्ण जीवन का चयन करती है |                                                                                                                                                                 इस प्रकार जब कोई आत्मा स्वयं अपनी इच्छा से तेजी से आत्मविकास हेतु कठिन जीवन को चुनकर जन्म लेती है लेकिन वह पृथ्वी पर आने वाली इन कठिनाइयों ,परीक्षाओं एवं कष्टों को सहन नहीं कर पाती है और वह अपनी जीवन यात्रा को समय से पहले, बिना कुछ सीखे या परीक्षा दिए समाप्त कर (सुसाइड द्वारा ) घर वापस लौट जाती है |


सुसाइड के आध्यात्मिक आयाम

किसी भी आत्मा के इस प्रकार से  स्वयं को नष्ट कर ,शिक्षण -प्रशिक्षण को बीच में छोड़कर वापस आ जाने को आत्मलोक में उसी प्रकार अच्छा नहीं माना जाता है जिस प्रकार हमारी पृथ्वी पर स्कूल -कॉलेज या परीक्षाओं को अधूरा छोड़कर आने पर अभिभावकों द्वारा अप्रसन्नता व्यक्त की जाती है |                                                                                                 आत्महत्या करने के द्वारा मनुष्य, ईश्वर एवं अपने भौतिक शरीर के साथ किये गए अनुबंध /कमिटमेंट को तोड़ता है | ईश्वर द्वारा आपको यह शरीर इसलिए दिया गया है यह आपके जन्म लेने के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक स्वस्थ वाहन के रूप में कार्य कर सके | जब आप इस मंदिर को धवस्त करते है तो आप सृष्टि के मूल तत्व जीवन को ही नकार देते है |                                                                                                                                   इससे आप न केवल अपनी आत्मा के लिए नकारात्मक कर्म संचित करते है बल्कि दूसरे जीवात्माओं (अपने प्रियजनों ) को भी नुकसान पहुंचाते है | इससे आपका न केवल एक जीवन व्यर्थ चला जाता है बल्कि आपको पृथ्वी पर फिर से आना होगा और दुगुनी मुश्किलों से भरी उन्हीं परिश्थितियों का सामना फिर से करना होगा ,साथ ही आपकी परीक्षा और प्रशिक्षण भी दुगने मुश्किल हो जाते है | 
                ऐसी आत्माएं जब आत्मलोक पहुँचती है तो वे अपने मार्गदर्शकों एवं साथी आत्माओं की नजर में स्वयं को हीन महसूस करती है, पछताती है और उनका सिर शर्म से झुका होता है क्योंकि आत्मलोक में उनका यह कार्य नितांत बचपना एवं जिम्मेदारियों का उल्लंघन माना जाता है |                                                                                                                          फिर भी वे हम पर विश्वाश करते है , सुसाइड न किये जाने की स्थिति में भूलोक पर उपलब्ध विभिन्न विकल्पों को एक स्क्रीन पर दिखाया जाता है और यह समझने में हमारी मदद की जाती है कि उन परिस्थतियों में भी हमारे पास सुसाइड के अलावा भी कई विकल्प मौजूद थे |                                                                                                          तत्पश्चात आत्महत्या करने वाली आत्मा के अनुरोध पर उसे पुनः यथाशीघ्र भूलोक भेज दिया जाता है | यह पुनर्जन्म उसकी मृत्यु के 5 वर्ष के अंदर हो जाता है | जो आत्मायें बार -बार ऐसा कृत्य करती है उन्हें चिंतन -मनन व आत्ममूल्यांकन हेतु पश्चाताप स्थलों पर भेजा जाता है ,जहाँ उनके मार्गदर्शक उनकी सहायता करते है |


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आत्महत्या से बचाब के उपाय -                                                                                                जब किसी व्यक्ति के मन में नकारात्मक या आत्महत्या सम्वन्धी विचार आने लगे तो निम्न बातों को ध्यान में रखे -
  1. नकारात्मक विचारों को सकारात्मक बातों से प्रतिस्थापित करें एवं भौतिक रूप से व्यस्त रहे | 
  2. अध्ययन करे और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करे | यह समझने का प्रयास करे कि आपके जीवन में ये घटनाये क्यूँ हो रही है | 
  3. अपने अवचेतन मन को जाग्रत करे| मुश्किल समय में यह आपको मार्गदर्शन एवं बल प्रदान करता है 
  4. यदि आप सही राह पर है तो लोगो की परवाह ना करे ,गलती है तो स्वीकार कर सुधार करे ,अपराध बोध ना रखे | 
  5. कोई समस्या है तो अपने भरोसेमन्द व्यक्ति से चर्चा करे,ताकि दूसरे के नजरिये से समस्या को साफ-साफ देखा जा सके | यदि विश्वस्त उपलब्ध न हो तो अवचेतन मन से बात करे | योग्य चिकित्सक से परामर्श करें, इसमें हिचके नहीं l 
  6. जिस कमरे में ज्यादा समय व्यतीत करते है उसमें सारे दिन (24 घंटे ) प्राकृतिक ज्योति( दीपक आदि) जलाये रखे ,यह नकारात्मकता को दूर कर आसपास के स्पन्दनों को स्वच्छ करता है | 
  7. अपनी पूरी शक्ति से ,हृदय की गहराई से ,सच्चे मन से ईश्वर से सहायता हेतु प्रार्थना करे कि वह आपकी मदद के लिए फ़रिश्ते भेजे | 
                                                   नियमित भ्रमण ,योग ,व्यायाम ,प्राणायाम ,मैडिटेशन आदि करे ,व्यस्त रहे | दूसरों की मदद करे | यदि आवश्यकता लगे तो किसी अच्छे चिकित्सक की सहायता जरूर ले |

why suicide ? spiritual aspects

   
अंत में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह जीवन जो आप अभी जी रहे है, वह जैसा भी है, आपका स्वयं का चयन है जो कि आपके द्वारा ही, स्वेच्छा से अपनी विकास यात्रा में तेजी लाने हेतु किया गया है | चूँकि यह आपका खुद का निर्णय है, इसमें चाहे कितनी ही कठिनाइयाँ ,कष्ट या संघर्षो का सामना करना पड़े ,हमें हर हाल में अपनी जीवन यात्रा पूरी करनी है | withrbansal 

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