मेडिटेशन का एक मजेदार तरीका :इनर साउंड तकनीक
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इस तकनीक में आपको किसी भी केमिस्ट शॉप से इयर प्लग लाने हैं | यह बाजार में ₹15 के आते हैं| 3m कंपनी के ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं| इन ईयर प्लग को दोनों कानों में लगा ले | इयर प्लग को लगाने की विधि यह है कि पहले आगे की तरफ से बत्ती की तरह हाथ से थोड़ा रोल कर ले | फिर कान में डाल ले | थोड़ी देर इन को दोनों हाथों से दबाकर रखें | थोड़ी ही देर में ये दोनों कानों में सेट हो जाएंगे | अब आपको बाहर से आवाज आना बंद हो जाएगी | अब आप किसी भी आरामदायक आसन में सीधे बैठ जाएं, गर्दन एवं ऱीढ़ की हड्डी को सीधी रखें | अब आप गहरी सांसों के साथ दस से जीरो तक की उल्टी गिनती गिनना शुरू करें| प्रत्येक गहरी साँस के साथ गिनते हुए दस ,नौ, आठ, सात ,छह, पांच...... जीरो तक आये | गिनती बिल्कुल धीमे फुसफुसाने की आवाज में करें आप देखेंगे कि ज़ीरो तक आते-आते आपका शरीर एवं मन बिल्कुल शांत हो गया है | अब यहां से मेडिटेशन शुरू होता है | दोस्तों दुनिया में दो तरह की आवाजें होती है एक बाहरी व दूसरी आंतरिक | बाहरी आप सभी जानते ही है , आतंरिक आवाजों में सामान्यतया हम साँसो एवंम हृदय की धड़कन की आवाजों को ही जानते है लेकिन दोस्तों हमारे अन्दर इनके अलावा भी आवाजे है ,आवाजें ही नहीं बल्कि पूरा का पूरा संगीत का भंडार है | बस अब आपको मेडिटेशन के माध्यम से इस संगीत का मजा लेना है |
इन आवाजों को दांयी तरफ से ही सुनने के पीछे साइंटिफिक लॉजिक है वो यह है कि हमारे ब्रेन के दो पार्ट होते है पहला लेफ्ट या logical , दूसरा राइट या intutive | जब हम दांयी तरफ से सुनते है तो लेफ्ट ब्रेन इसकी प्रोसेसिंग करता है, चूँकि वह इन आवाजों को पहचानता नहीं है तो वह ब्लेंक या चुप हो जाता है अर्थात हमारे अंदर की बातचीत या शोर बंद हो जाता है और हमारा दिमाग केंद्रित हो जाता है | मेडिटेशन,उस सर्वशक्तिमान ईश्वर की एक उच्च स्तरीय प्रार्थना है | इस तकनीक से मन मस्तिष्क शांत हो जाता है और दिल बड़ा हो जाता है और व्यक्ति भूत एवं भविष्य की सीमाओं से मुक्त होकर वर्तमान में जीना सीख जाता है | withrbansal मेडिटेशन हेतु आप इस टेप का भी प्रयोग कर सकते है 👇-
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मेडिटेशन कैसे करें :एक सरल एवं व्यावहारिक तकनीक
दोस्तों ,मेडिटेशन के बारे में लोग जब पढ़ते एवं सुनते है तो उनकी भी यह इच्छा होती है कि मेडिटेशन किया जाये, लेकिन यहाँ समस्या यह आती है कि उन्हें नहीं पता कि यह कैसे किया जाता है | मेडिटेशन कैसे किया जाये, इस बारे में अलग- अलग पुस्तकों एवं विद्वानों के द्वारा कई प्रकार के तरीके बताये गए है | कोई सांसो पर ,कोई ह्रदय पर,कोई दीपक की लौ पर तो कोई दोनों आँखों के मध्य स्थान पर ध्यान केंद्रित कराता है तो कुछ लोग सिर के मध्य स्थान पर ध्यान देने को कहते है, कहने का तात्यपर्य यह है कि मेडिटेशन के सैकड़ो तरीक़े बताये गए है |और सबसे बड़ी बात यह कि ये सारे तरीके बोरियत भरे है | ऐसे में व्यक्ति समझ नहीं पाता कि कौनसा रास्ता अपनाया जाये | दोस्तों, मेडीटेशन के तरीको के बारे में मैं यहाँ यह स्पस्ट करना चाहूंगा कि मेडिटेशन स्वयॅ एक साध्य है, जीने का एक तरीका है अर्थात जागरूकता के साथ या होशपूर्वक जीना | ध्यानस्थ व्यक्ति के समस्त कार्य यहाँ तक कि उसका पूरा जीवन सजगतापूर्ण होता है | अतः तरीका कोई भी हो जो आपको सरल और आसान लगे और पसंद आये ,अपनाया जा सकता है क्योंकि रास्तें सबके अलग अलग हो सकते है लेकिन मंजिल सबकी एक ही है वह है सजग एवं समृद्ध जीवन | पढ़े -मेडिटेशन : क्या है ,आवश्यकता,कैसे करे ,पूर्व तैयारी ,फायदे एवं तकनीकें इन हिन्दी
अब मान लो कोई व्यक्ति उक्त में से कोई एक तरीका चुनकर मेडिटेशन शुरू करता है तो दूसरी समस्या यह आती है कि मेडिटेशन में उसका मन नहीं लगता है ,बोरिंग होती है ,ज्यादा बैठ नहीं पाता है , नियमित नहीं रह पाता है और कुछ दिनों पश्चात् वह मेडिटेशन बंद कर देता है | कहने का मतलब यह है कि मैडिटेशन अधिकतर लोगों के लिए हौव्वा बन जाता है | लेकिन दोस्तों वास्तविकता में मेडिटेशन बहुत ही आसान है | पूर्व लेख में आपको मेडिटेशन की " the heart of the roses " तकनीक बताई गई थी | यहाँ मेँ आपको मेडिटेशन की एक बहुत ही सरल,आसान एवं रोचक तकनीक प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसका मेरे स्वयॅ के द्वारा नियमित अभ्यास किया जा रहा है, इस तकनीक में ध्यान लगाने की आवश्यकता ही नहीं होगी बल्कि वह अपने आप ही लगेगा और इसमें आपको बिलकुल भी बोरियत नहीं होगी बल्कि मजा आएगा |
ईयर प्लग या इनर साउंड तकनीक :-
प्रारम्भ में आपको साँसों एवं दिल की धड़कनों को सुनना है ,धीरे धीरे आपको इन आवाजों के पीछे से अन्य बारीक़ एवं पतली आवाजे भी सुनाई देना शुरू होगी ये कुछ- कुछ झींगुर ,शंख ,पानी गिरने ,झरने या हवा की आवाज कुछ भी हो सकती है ,आपको आवाजों के पीछे की इन बारीक़ एवं पतली आवाजों को सुनना है धीरे धीरे इन आवाजों के अंदर भी आवाजे आना शुरू हो जाएगी, कभी कभी ये आवाजें एक झलक दिखला कर आती जाती रहती है | दोस्तों, इस तकनीक में आपको आवाजे सुनने के लिए प्रयास नहीं करना पड़ेगा अपितु अपने आप ही ध्यान जायेगा यही इसकी खासियत है लेकिन यह ध्यान रखे कि इन आवाजों को आपको दाँयी और से ही सुनना है ,हालाँकि ये बांयी और से भी आ सकती है | धीरे धीरे ये आवाजे केंद्र ( center ) में आ जाएगी और अंत में आपको सुनाई देगी वह आवाज जो इस मेडिटेशन का उद्देश्य है अर्थात "अनहत नाद" जिसे दिल की आवाज ,एक हाथ की ताली या सन्नाटे की आवाज भी कहा जाता है | हिन्दू संस्कृति में इसे "ॐ "कहा है ,इस्लाम में "अल्ला हु "कहा गया है ,बाइबिल का शुरूआती word यही है | इस स्थिति को आने में हर व्यक्ति को अलग अलग समय लग सकता है ,किसी को 7 दिन ,किसी को 15 दिन किसी को महीनें तो किसी को साल भी लग सकता है यह निर्भर करता है किउसका "आतंरिक शौर" कितना ज्यादा है |और जब यह स्थिति आती है तो व्यक्ति का ह्रदय फूल की तरह खिल जाता है |
इन आवाजों को दांयी तरफ से ही सुनने के पीछे साइंटिफिक लॉजिक है वो यह है कि हमारे ब्रेन के दो पार्ट होते है पहला लेफ्ट या logical , दूसरा राइट या intutive | जब हम दांयी तरफ से सुनते है तो लेफ्ट ब्रेन इसकी प्रोसेसिंग करता है, चूँकि वह इन आवाजों को पहचानता नहीं है तो वह ब्लेंक या चुप हो जाता है अर्थात हमारे अंदर की बातचीत या शोर बंद हो जाता है और हमारा दिमाग केंद्रित हो जाता है | मेडिटेशन,उस सर्वशक्तिमान ईश्वर की एक उच्च स्तरीय प्रार्थना है | इस तकनीक से मन मस्तिष्क शांत हो जाता है और दिल बड़ा हो जाता है और व्यक्ति भूत एवं भविष्य की सीमाओं से मुक्त होकर वर्तमान में जीना सीख जाता है | withrbansal मेडिटेशन हेतु आप इस टेप का भी प्रयोग कर सकते है 👇-
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