अनिद्रा(insomnia) में एलोपैथिक दवाइयाँ :स्थायी समाधान नहीं है |
अनिद्रा(Insomnia)में एलोपैथिक दवाइयों का उपयोग सयंम से करे -
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अनिद्रा ( Insomnia ) में एलोपैथिक दवाओं के प्रयोग में सावधान रहे |
दोस्तों,जब हम अपने किसी रोग के संबंध में चिकित्सक से परामर्श के लिए जाते हैं तो चिकित्सक द्वारा आम तौर पर यह प्रश्न पूछा जाता है कि" नींद कैसी आती है ?" और हमारा भी जवाब सामान्यतः यही होता है कि डॉ०साहब नींद कम आती है,| यह सुनते ही हमारे चिकित्सक द्वारा अनिद्रा हेतु कुछ एलोपैथिक दवाएं लिख दी जाती है | हम में से अधिकांश लोग इन एलोपैथिक दवाइयों को बिना सोचे समझे उपयोग करना भी शुरू कर देते हैं | होता यह है कि इन दवाइयों की डोज एवं इन पर हमारी निर्भरता दिनों दिन बढ़ती जाती है और हमारी अनिद्रा यूं ही बनी रहती है | चिकित्सक द्वारा हर रोगी से नींद के बारे में पूछना और अनिद्रा हेतु कोई न कोई एलोपैथिक दवाई लिखने का कारण है- नींद का हमारे स्वास्थ्य से गहरा संबंध होना | क्योंकि अधिक या कम नींद हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बेहद गंभीरता से प्रभावित करती है |
नींद ( Sleep )क्या है-
हम अपने जीवन का लगभग एक तिहाई समय सोने में बिता देते हैं, उसके बाद भी हम यह तक नहीं जानते हैं कि नींद क्या है ? हम सिर्फ यह जानते हैं कि यह विश्राम की एक अवस्था है जिसके पश्चात हमारे शरीर एवं मन दोनों पुनः स्फूर्ति एवं ताजगी को प्राप्त कर लेते हैं | अर्थात नींद को हम एक ऊर्जा प्रदान करने वाली देवी के रूप में ही जानते हैं | फिर भी हम यह नहीं जानते कि स्वस्थ रहने के लिए कितनी नींद जरूरी है या किसी व्यक्ति के लिए सोना जरूरी है क्या | प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय वकील "सैम अंटरमेयर" को जीवन भर कभी भी गहरी नींद नसीब नहीं हुई फिर भी वह 81 वर्ष तक जीवित रहे और ताउम्र स्वस्थ रहे | यहां तक कि उनके द्वारा कम नींद आने का फायदा उठाया गया, जब सारी दुनिया सोती रही, वह काम करते रहे और कहीं ज्यादा नाम, शोहरत व दौलत प्राप्त की |
अनिद्रा (Insomnia ) क्या है -
नींद से जुड़ी हुई किसी भी प्रकार की समस्या - नींद नहीं आना या नींद आने में समस्या होना ,नींद का बार बार टूटना, पर्याप्त या गहरी नींद नहीं आना आदि जैसी समस्याएं जिनसे हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता हो, तकनीकी रूप से "अनिद्रा" कहा जाता है | सामान्यतया यह समस्या दो प्रकार की हो सकती है -
प्रथम -अस्थाई -
कभी-कभी काम के दबाव, पारिवारिक तनाव या चिंता, भावनात्मक टूटन या किसी घटना- दुर्घटना के कारण अनिद्रा की यह स्थिति उत्पन्न होती है जो कि कुछ दिन या कुछ हफ्ते ही रहती है | यह कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाती है या फिर कभी-कभी चिकित्सक की सलाह से एलोपैथिक दवाई लेनी पड़ सकती है |
द्वितीय - स्थाई -
अनिद्रा कि यह गंभीर स्थिति होती है जो कि 3 महीने या इससे ज्यादा दिनों तक चलती रहती है | इसे क्रॉनिक इनसोम्निया (cronic Insomnia ) भी कहा जाता है | इसके पीछे -मानसिक तनाव ,अतृप्त इच्छाएं,कड़वाहट, खराब जीवनशैली ,मादक पदार्थों का अधिक सेवन, क्रॉनिक शारीरिक या मानसिक रोग या इन जैसे अन्य कोई कारण हो सकते है |
अनिद्रा(Insomnia) से महिलाएं ज्यादा पीड़ित है -
यूं तो विश्व की लगभग एक तिहाई आबादी अनिद्रा की शिकार है लेकिन इनमें भी महिलाओं की संख्या ज्यादा है | प्रत्येक दूसरी-तीसरी महिला इससे पीड़ित है | "रेस्टलेस लेग सिंड्रोम "यानी नींद में टांगों का छटपटाना महिलाओं में एक आम समस्या है उसके पीछे मुख्य रूप से जेनेटिक कारण ,अत्यधिक जिम्मेदारियां ,हार्मोन असंतुलन, डिप्रैशन एंड एंजायटी जैसी मानसिक समस्याएं जिम्मेदार है |
अनिद्रा(INSOMNIA) कोई रोग नहीं है -
अनिद्रा अपने आप में कोई रोग नहीं है | किंतु उसकी चिंता करना या उसके बारे में सोचना जरूर इसे घातक रूप में तब्दील कर देता है | शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर "डॉक्टर नैथेनियल क्लेरमेन" ने नींद पर विस्तृत शोध किया है| वे कहते हैं -मैंने आज तक किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं देखा जो अनिद्रा से मरा हो ,उन्हें जो भी रोग हुए या परेशानियाँ हुई वह सब अनिद्रा की चिंता के कारण हुई है | सच तो यह है कि जो व्यक्ति सुबह उठकर यह कहता है कि उसने पूरी रात पलक तक नहीं झपकाई है वह अनजाने में ही कई घंटों सो चुका होता है | क्योंकि नींद अपने आपको पूर्ण करने का कोई ना कोई तरीका ढूंढ ही लेती है |
अनिद्रा (Insomnia) महसूस हो तो क्या करें -
अनिद्रा या इन्सोम्निआ ( Insomnia ) में लम्बे समय तक एलोपैथिक दवाओँ का उपयोग न करे | ये आपको आश्रित बनाने के साथ साथ शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोर भी बनाती है | स्थायी राहत हेतु निम्न उपाय करे -
@ जैसा कि पूर्व में कहा गया है कि अनिद्रा अपने आप में कोई रोग नहीं है,यह किसी अन्य बीमारी का लक्षण जरूर हो सकता है ऐसे में आप एक बार अपना संपूर्ण चिकित्सीय जांच अवश्य करा लें कि शरीर में कोई अन्य बीमारी तो नहीं है |
@ गहरी नींद हेतु मन में सुरक्षा की भावना होनी आवश्यक है और यह भावना प्राप्त होती है- ईश्वर में आस्था एवं प्रार्थना से | प्रतिदिन सोते समय प्रार्थना करें और सब कुछ ईश्वर पर छोड़ कर निश्चिंत हो जाए | एक बार जब आप सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देते हैं तो धीरे-धीरे मस्तिष्क एवं स्नायु शांत हो जाते हैं | मस्तिष्क एवं स्नायुओं को शांत करने के लिए आप प्रतिदिन मेडिटेशन भी करें | पढ़े - मेडिटेशन का एक मजेदार तरीका :इनर साउंड तकनीक
@ यदि आप नास्तिक है और ईश्वर में श्रद्धा नहीं रखते हैं तो शारीरिक उपायों द्वारा भी तनी हुई मांसपेशियों को शांत कर सकते हैं | इसके लिए आप थकाने वाला शारीरिक श्रम करें जैसे- बागवानी, जिम, कोई गेम, तैराकी इत्यादि | डेल कार्नेगी कहते हैं- "यदि हम पर्याप्त रूप से खुद को थका दे तो प्रकृति हमें चलते-फिरते भी सुला देगी | " @ "रिलीज फ्रॉम नर्वस टेंशन" के लेखक डेविड फिंक की सलाह है कि पैरों के तनाव को शांत करने हेतु सोते समय घुटनों के नीचे तकिया लगाए | इसी प्रकार बाँहों के तनाव हेतु बाँहों के नीचे तकिया लगा कर सोये |
@ रात को सोते समय जल्दी नींद लाने हेतु एक छोटी सी तकनीक अपना सकते है | इसमें आपको बिस्तरों में ऑंख बंद कर अपने दोनों हाथों की अंगुलियों के प्रयोग से धीमे-धीमे आराम से रिलेक्स होकर 1 से 17 तक की गिनती गिनना है | इस प्रक्रिया को कुल 9 बार दोहराना है | दावा है इस प्रक्रिया के पूर्ण होने से पहले ही आपको नींद आ जाएगी | @ इसके अलावा रात को सोते समय कुछ अन्य छोटे-छोटे उपाय भी किए जा सकते हैं, जैसे कि- सोते समय हाथ-पैर धो कर सोए, हल्के गुनगुने दूध में जायफल डालकर पिए, टीवी, मोबाइल इत्यादि गैजेट बेडरूम से दूर रखें ,सोने से पूर्व बुक रीडिंग अवश्य करें ,बेड की दिशा का ध्यान रखें एवं कुछ देर सांसो पर ध्यान केंद्रित करें | यह भी पढ़े -विपस्सना मेडिटेशन तो दोस्तों,अब आप समझ गए होंगे कि अनिद्रा तभी गंभीर रोग का रूप धारण करता है जब हम उसकी चिंता करते है या ज्यादा परवाह करते हैं | इतिहास गवाह है कि अनिद्रा के कारण आज तक किसी की मृत्यु नहीं हुई है और ना ही किसी ने आत्महत्या की है | क्योंकि बकौल कारनेगी -" प्रकृति मनुष्य की समूची इच्छाशक्ति के बावजूद उसे सोने के लिए विवश करेगी | प्रकृति हमें भोजन पानी के बिना अधिक दिन तक रहने दे सकती है लेकिन सोए बिना नहीं | " withrbansal
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