जीवन से खुशियाँ नहीं, समस्याएँ माँगो
समस्याएँ ही खुशियों की जनक है -
दोस्तों,आप सभी ने आज से लगभग 2500 साल पूर्व हिमालय की तलछटी में स्थित राज्य में पैदा हुए एक राजकुमार की कहानी तो सुनी होगी | बचपन से ही बेपनाह ऐशोआराम में पला -बढ़ा वह राजकुमार आगे चलकर एक असंतुष्ट युवा बना,उसे सारी भौतिक वस्तुएँ खोखली एवं मूल्यहीन लगने लगी | एक दिन चुपके से उसने राजमहल से बाहर निकलकर पहली बार इंसानो की तकलीफों एवं दुःखदर्द को देखा तो मन खिन्न हो गया | राजकुमार ने इन दुखों के लिए धनी लोगों अर्थात अपने पिता को जिम्मेदार मानकर चुपके से घर छोड़ दिया | सालों तक उसने इधर उधर भटकते हुए पीड़ा,अपमान,बीमारी,भूख,दर्द सब सहा लेकिन उसे सृष्टि का वह रहस्य नहीं मिला जिसकी उसे तलाश थी | परेशान राजकुमार एक पेड़ के नीचे बैठ गया ,49 दिनों तक बैठा रहा | आखिर में उसे अहसास हुआ कि जिंदगी अपने आप में पीड़ा ही है | धनी ,धन की वजह से तो गरीब ,निर्धनता से ,पारिवारिक ,परिवार से तो परिवारहीन,परिवार न होने की वजह से,सुखी लोग सुख से तो दुखी,दुखों से परेशान है | यही राजकुमार जो बाद में "भगवान बुद्ध "के नाम से विख्यात हुए ने दुनिया के सामने अपना दर्शन प्रस्तुत किया कि -जीवन में दुःख अनिवार्य है अतः हमें उन्हें सहने की कोशिस करनी चाहिए |
विश्व प्रसिद्ध ब्लॉगर "मार्क मेंशन" ने कहा है कि समस्याएँ,जिंदगी के साथ ही जुड़ी हुई होती है ये कभी ख़त्म नहीं होती है बस इनका रूप एवं मात्रा बदल जाती है | खुशियाँ,समस्याओं को सुलझाने से आती है | खुश रहने के लिए हमें कुछ सुलझाने को चाहिये होता है इसलिए ख़ुशी एक"एक्टिविटी' है न कि कोई मूर्त या अमूर्त वस्तु | ख़ुशी,बहुत सारा पैसा कमाने,बड़ा घर या गाड़ी खरीदने,किसी खास नौकरी पाने या सम्बन्ध में नहीं है सच पूछो तो किसी किताब में भी नहीं है | चूँकि ख़ुशी,एक निरन्तर प्रक्रिया है और समस्या का समाधान भी लगातार चलते रहने वाला कार्य है इसलिए वास्तविक ख़ुशी अपनी पसंद की समस्या के समाधान ढूंढने में है | कभी -कभी समस्याएं आसान होती है जैसे-बढ़िया खाना खाना,नए स्थानों का भ्रमण आदि तो कभी ये मुश्किल होती है जैसे-बिगड़े सम्बन्ध सुधारना,पसंदीदा कैरियर तलाशना | इसलिए ख़ुशी पाने का एक ही तरीका है-समस्या सुलझाओ और खुश रहो | बदकिस्मती से लोग इस ख़ुशी से वंचित रहते है जिसके दो कारण है प्रथम वे यह मानने से इंकार कर देते है कि उन्हें कोई समस्या है, द्वितीय वे यह मानते है कि समस्या को नहीं सुलझा सकते है और अपनी समस्याओ के लिए दूसरों को या परिस्थतियों को जिम्मेदार ठहराते है | वर्तमान में कई तथाकथित सेल्फ हेल्प गुरु समस्याओ को भुलाने के कई तरीके सिखाकर कुछ समय के लिए फीलगुड करा देते है लेकिन वास्तविक रूप में समस्याएं विकराल होती जाती है |
इस जहां में हर कोई एक मस्त,खुशहाल और आसान जीवन चाहता है,हर कोई ढ़ेर सारा पैसा,सत्ता,प्यार,खुशहाल सम्बन्ध,लोकप्रियता,प्रशंशा आदि चाहता है लेकिन इनके बदले में मिलने वाला दर्द एवं तकलीफ़ या इनके लिए किये जाने वाला संघर्ष कोई नहीं चाहता | ज्यादातर लोग आलिशान घर,ऑफिस,बहुत सारा पैसा कमाना चाहते है लेकिन बहुत कम लोग है जो सप्ताह में 70 घंटे काम,नीरस पेपरवर्क,कॉरपोरेट की सांप सीढ़ी भरा जीवन पसंद करते है,अच्छा फिगर सबको चाहिए लेकिन इसके लिए घंटो जिम में पसीना बहाना या डायटिंग कोई नहीं चाहता,अच्छे रिश्ते हर कोई चाहता है लेकिन इसके लिए मुश्किल संबाद,ख़ामोशी,सयंम एवं इमोशनल साइकोड्रामा से कोई नहीं गुजरना चाहता | कहने का मतलब है कि आपको वास्तविक ख़ुशी व संतुष्टि संघर्षो के चुनाव एवं उनके प्रवंधन से ही हासिल होगी | इसलिए ख़ुशी पानी है तो अपने आप से यह सवाल करे कि वह कौनसा दर्द या संघर्ष है जो मैं झेलने के लिए तैयार हूँ | यदि आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष का दर्द नहीं चुनते हो तो आपके सपने कभी पूरे नहीं होंगे |
Withrbansal
दोस्तों,हर व्यक्ति अपने जीवन में ढ़ेर सारी खुशियाँ (happiness ) चाहता है ,विरला ही कोई होगा जिसे बैचेनी,समस्याओं, तकलीफों या परेशानियों की चाहत हो | जीवन भर व्यक्ति इस कोशिश में लगा रहता कि कैसे अधिक से अधिक खुशियाँ प्राप्त की जाये लेकिन निराशा ही हाथ लगती है क्योंकि उन्हें यह नहीं पता कि तकलीफें ,असंतुष्टि या बैचेनी तो मानव प्रकृति के स्वाभाविक अंग है और जीवन में खुशियाँ लाने हेतु जरूरी तत्व है |
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हम तकलीफें सहन करते है क्योंकि ये हमारे लिए उपयोगी है ये हमें बदलाव के लिए प्रेरित करती है | हमारी असंतुष्टि एवं असुरक्षा ही हमें नित नए आविष्कार करने एवं जीने का हौसला देती है ये ही सम्पूर्ण मानव जाति को लड़ने -भिड़ने और जीतने का जज्बा प्रदान करते है | ये दर्द और तकलीफें मानव विकास के लिए जरुरी है | दर्द, जिससे हम नफरत करते है चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक हमें ज्ञान प्रदान करता है कि हमारे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा| ये हमारी सीमाओं को भी समझाता है | शारीरिक दर्द-जैसे बिजली के नंगे तारों को छूना,ठोकर लगना आदि हमें लापरवाही में ध्यान देना सिखाता है | मानसिक दर्द-जैसे असफलता का दर्द ,भविष्य की गलतियों को रोकता है | इसलिए कहा जाता है कि "बिना तकलीफ के जिंदगी की उम्मीद मत करो इसके बजाय अच्छी तकलीफों वाली जिंदगी माँगो "
विश्व प्रसिद्ध ब्लॉगर "मार्क मेंशन" ने कहा है कि समस्याएँ,जिंदगी के साथ ही जुड़ी हुई होती है ये कभी ख़त्म नहीं होती है बस इनका रूप एवं मात्रा बदल जाती है | खुशियाँ,समस्याओं को सुलझाने से आती है | खुश रहने के लिए हमें कुछ सुलझाने को चाहिये होता है इसलिए ख़ुशी एक"एक्टिविटी' है न कि कोई मूर्त या अमूर्त वस्तु | ख़ुशी,बहुत सारा पैसा कमाने,बड़ा घर या गाड़ी खरीदने,किसी खास नौकरी पाने या सम्बन्ध में नहीं है सच पूछो तो किसी किताब में भी नहीं है | चूँकि ख़ुशी,एक निरन्तर प्रक्रिया है और समस्या का समाधान भी लगातार चलते रहने वाला कार्य है इसलिए वास्तविक ख़ुशी अपनी पसंद की समस्या के समाधान ढूंढने में है | कभी -कभी समस्याएं आसान होती है जैसे-बढ़िया खाना खाना,नए स्थानों का भ्रमण आदि तो कभी ये मुश्किल होती है जैसे-बिगड़े सम्बन्ध सुधारना,पसंदीदा कैरियर तलाशना | इसलिए ख़ुशी पाने का एक ही तरीका है-समस्या सुलझाओ और खुश रहो | बदकिस्मती से लोग इस ख़ुशी से वंचित रहते है जिसके दो कारण है प्रथम वे यह मानने से इंकार कर देते है कि उन्हें कोई समस्या है, द्वितीय वे यह मानते है कि समस्या को नहीं सुलझा सकते है और अपनी समस्याओ के लिए दूसरों को या परिस्थतियों को जिम्मेदार ठहराते है | वर्तमान में कई तथाकथित सेल्फ हेल्प गुरु समस्याओ को भुलाने के कई तरीके सिखाकर कुछ समय के लिए फीलगुड करा देते है लेकिन वास्तविक रूप में समस्याएं विकराल होती जाती है |
अक्सर जीवन में हम भावनाओं को बहुत महत्त्व देते है जबकि उनका काम हमें केवल यह बताना है कि क्या सही है क्या गलत है न इससे ज्यादा न कम | मन में सकारात्मक या नकारात्मक भाव आना सामान्य है,भाव सिर्फ संकेत या सलाह है आदेश नहीं | इसलिए हमेशा भावनाओ पर भरोसा न करे बल्कि इनसे सवाल पूछने की आदत डालें | अक्सर केवल भावनाओ के आधार पर लिए गए निर्णय गलत साबित हो जाते है क्योंकि कोई भी इमोशन ज्यादा समय तक नहीं टिकता है |
आज जो चीज हमें ख़ुशी दे रही है वो कल हमें खुश नहीं रख पायेगी क्योंकि हमें हमेशा "कुछ और" चाहिए होता है अर्थात कभी न खत्म होने वाला "कुछ और"-एक नया घर ,एक नयी गाड़ी ,एक नया रिश्ता ,नौकरी में एक और प्रमोशन ,वेतन में और वृद्धि का अंतहीन सिलसिला | इतने सारे दंद-फंदो के बाबजूद हम अंत में उतना ही खाली होते है जितना कि शुरू में थे | जीवन में सब कुछ एक साइड इफेक्ट के साथ आता है जो चीज हमें ख़ुशी देती है वही एक दिन पक्का तकलीफ भी देगी | हमारी जीत में हार भी छुपी होती है | जो चीज हमें सकारात्मक अनुभव देती है वही हमारे नकारात्मक अनुभव का भी कारण बनेंगी |
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इस जहां में हर कोई एक मस्त,खुशहाल और आसान जीवन चाहता है,हर कोई ढ़ेर सारा पैसा,सत्ता,प्यार,खुशहाल सम्बन्ध,लोकप्रियता,प्रशंशा आदि चाहता है लेकिन इनके बदले में मिलने वाला दर्द एवं तकलीफ़ या इनके लिए किये जाने वाला संघर्ष कोई नहीं चाहता | ज्यादातर लोग आलिशान घर,ऑफिस,बहुत सारा पैसा कमाना चाहते है लेकिन बहुत कम लोग है जो सप्ताह में 70 घंटे काम,नीरस पेपरवर्क,कॉरपोरेट की सांप सीढ़ी भरा जीवन पसंद करते है,अच्छा फिगर सबको चाहिए लेकिन इसके लिए घंटो जिम में पसीना बहाना या डायटिंग कोई नहीं चाहता,अच्छे रिश्ते हर कोई चाहता है लेकिन इसके लिए मुश्किल संबाद,ख़ामोशी,सयंम एवं इमोशनल साइकोड्रामा से कोई नहीं गुजरना चाहता | कहने का मतलब है कि आपको वास्तविक ख़ुशी व संतुष्टि संघर्षो के चुनाव एवं उनके प्रवंधन से ही हासिल होगी | इसलिए ख़ुशी पानी है तो अपने आप से यह सवाल करे कि वह कौनसा दर्द या संघर्ष है जो मैं झेलने के लिए तैयार हूँ | यदि आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष का दर्द नहीं चुनते हो तो आपके सपने कभी पूरे नहीं होंगे |
ज्यादातर लोग ईनाम चाहते है,संघर्ष नहीं,रिजल्ट चाहते है,प्रक्रिया नहीं,जीत से प्यार होता है उसकी तड़प से नहीं | जो लोग जिम का दर्द झेलते है वही मैराथन में जीत दर्ज करते है,जो 12 से 15 घंटे प्रतिदिन सालों मेहनत करते है वही उच्च प्रशासनिक पदों को सुशोभित करते है,जो लोग बिना कुछ कमाए भी पागलों की तरह पूरा दिन मेहनत करते है वही एक दिन सफल बिजनेसमैन बनते है | हमारा संघर्ष ही सफलता को तय करता है | हमारी समस्याएं ही खुशियों को जन्म देती है| समस्या-समाधान-ख़ुशी का यह चक्र अनवरत चलता रहता है और इसी का नाम जिंदगी है | आध्यात्मिक दृष्टि से भी जीवन को कर्मभूमि माना गया है जहाँ अपने हिस्से के कर्म करके वापस चले जाना है |
यहाँ ये समस्याएं एक प्रकार से हमारी फाइनल परीक्षाएं है जिनसे पार होकर ही हम अगली कक्षा में जाते है,जितनी अधिक समस्याएं उतना ही हमारा स्तर बढ़ता जाता है |
withrbansal
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वाह
जवाब देंहटाएंTHANKU SIR
जवाब देंहटाएंVery good sir
जवाब देंहटाएंRajiv srivastava
हटाएंthank u sir
हटाएं🙏🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंthanx
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