सफल होना है तो अपनी आदतों को स्पष्टता प्रदान करे
अच्छी आदतें कैसे बनायें -
withrbansal @ दोस्तों,"आदत" का अर्थ एक ऐसा व्यवहार होता है जिसे इतनी बार दोहराया जाता है कि वह स्वचालित हो जाता है | आदत,वह रूटीन या अभ्यास है जो नियमित रूप से किया जाता है अथवा इसे किसी विशेष स्थिति में अपने आप होने वाली प्रतिक्रिया भी कहा जा सकता है | आदतें अच्छी-बुरी,छोटी या बड़ी किसी भी प्रकार की हो सकती है | लेकिन लंबी अवधि में हमारे जीवन की गुणवत्ता अक्सर हमारी आदतों पर बहुत कुछ निर्भर करती है | यही कारण है कि हम सब लोग यह जानना चाहते हैं कि अच्छी आदतें कैसे बनाएं और बुरी आदतों से कैसे छुटकारा पाएं |
दैनिक जीवन की आदतों में मामूली से बदलाव का प्रभाव किसी विमान को अपने मार्ग से कुछ ही डिग्री बदलने के समान होता है | आपके विमान की दिशा में मामूली डिग्री का अंतर आपको अपने लक्ष्य से सैकड़ों किलोमीटर दूर ले जा सकता है | इसी प्रकार आपकी आदतों में एक फीसदी बेहतर या बदतर का बदलाव कालांतर में आपको वहां पहुंचा सकता है जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की हो | आदतों का परिणाम चक्रवृद्धि व्याज की तरह होता है |
आपकी वित्तीय आदतों का परिणाम आपकी नेटवर्थ है, खाने की आदतें वजन का निर्धारण करती है,जीवन शैली से संबंधित आदतें आपके स्वास्थ्य को तय करती है,सीखने की आदतों का परिणाम आपका ज्ञान है,इसी प्रकार और भी बहुत कुछ,आप जो दोहराते हो,वह आपको प्राप्त होता है | यहाँ समस्या यह है कि आदतें तुरंत परिणाम नहीं देती है,इसलिए लोग बुरी आदतों की ओर आसानी से अग्रसर हो जाते हैं |
यह भी पढ़े -सफलता पाने का 10000 घंटे का नियम क्या है ?
आदतें क्यूँ जरूरी है -
@ आदतें समस्याओं को स्वचालित तरीके से हल करने की प्रक्रिया है | जैसे ही आदतें बनती है,मस्तिष्क में गतिविधियां कम हो जाती है और मस्तिष्क रिलैक्स महसूस करता है |
@ आदतों के द्वारा ही चेतन मन किसी कार्य को स्वचालित ढंग से करने हेतु अचेतन को कार्य सौंपता है ताकि संज्ञानात्मक भार कम हो जाए,मानसिक क्षमता मुक्त होने के कारण अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य पर ध्यान केंद्रित किया जा सके |
@ आदतें ही हमें स्वतंत्रता प्रदान करती है |अच्छी एवं दिनचर्या संबंधी आदतें हमारे समय एवं ऊर्जा के अपव्यय को रोककर हमें स्वतंत्रता एवं रचनात्मकता प्रदान करती है | वर्तमान की आदतें भविष्य में हमें वह करने के योग्य बनाती है जो कि हम चाहते हैं |
आदतों का महत्त्व -
आदतों का महत्व है,क्योंकि यह आपको वह बनाने में मदद करती है जो कि आप बनना चाहते हैं | आप वही बनते हैं जो आपकी आदतें होती हैं |आदतें बनाने के लिए आपको इस बात पर फोकस नहीं करना है कि आप क्या प्राप्त करना चाहते हैं बल्कि इस चीज पर केंद्रित होना है कि आप क्या बनना चाहते हैं | यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो ऐसे व्यक्ति बनने पर ध्यान केंद्रित करें जो नियमित एक्सरसाइज करता है और पोषण संबंधी नियमों का पालन करता है | यदि आप पुस्तक लिखना चाहते हैं तो ऐसे व्यक्ति बनने पर ध्यान केंद्रित करें जो नियमित रूप से अध्ययन एवं लेखन करता है |
यह भी पढ़े -सुबह जल्दी जगे-अपने जीवन के मालिक बनें
अच्छी आदतें कैसे बनाएं-
प्रसिद्ध लेखक "जेम्स क्लियर " द्वारा अपनी best-selling पुस्तक "एटॉमिक हैबिट्स" में किसी भी आदत को बनने की प्रक्रिया को बहुत ही विस्तृत रूप में वर्णित किया है | आदतों के सम्बन्ध में उनके द्वारा कतिपय ऐसे नियमों का प्रतिपादन किया गया है,जिनके व्यावहारिक प्रयोग के द्वारा हम अच्छी आदतों को बना सकते हैं और बुरी आदतों को खत्म कर सकते हैं | इनमें एक प्रमुख नियम है -आदतों को स्पष्ट बनाये |
आदतों को स्पष्ट बनाएं-
जब तक हम हमारी आदतों के प्रति स्पष्ट,सजग एवं जागरूक नहीं होंगे,तब तक ना तो हम अच्छी आदते अपना सकते है और न ही बुरी या गन्दी आदतों से छुटकारा पा सकते है | निम्न कतिपय छोटी -छोटी तकनीकों के द्वारा इन्हे स्पष्ट बनाकर हम अपने व्यक्तित्व में अच्छी आदतें जोड़ सकते है और बुरी आदतों से बच सकते है |
1"पॉइण्टिंग एंड कॉलिंग" तकनीक-
एक बार जब कोई भी आदत हमारी जीवन में जड़े जमा लेती है तो यह सामान्यतया अचेतन एवं स्वचालित हो जाती है और हमारे जीवन को निर्देशित करने लगती है,तब हम इसे भाग्य का नाम दे देते हैं | यह स्थिति खतरनाक है,इस बारे में सजगता आवश्यक है | इस हेतु "पॉइंटिंग एंड कॉलिंग " तकनीक बेहद उपयोगी है | इस तकनीक में आप जो भी काम कर रहे हो उसे तेजी से बोले कि आप उसे करना चाहते हैं और क्या परिणाम होगा यह भी बोले | जैसे-आप स्मोकिंग की आदत को छोड़ना चाहते हैं लेकिन आप सिगरेट निकाल कर पीने लगते हैं तो जोर से बोले कि-" मैं यह सिगरेट पी रहा हूं लेकिन इसके पीने से मेरी सेहत बुरी तरह से प्रभावित होगी " | खराब आदतें जोर से बोलने पर व्यवहार परिवर्तन शुरू हो जाता है | यह तकनीक तब भी उपयोगी होती है जब आप किसी काम को याद रखने की कोशिश कर रहे होते है |
यह भी पढ़े -क्या धूम्रपान करने वाले शानदार होते हैं ?
2 आदतों का स्कोर कार्ड-
आदतों के बारे में सजग होने के लिए अपने दैनिक आदतों की एक सूची बना लें | तत्पश्चात हर आदत के सामने यह लिखे कि यह अच्छी आदत है या खराब आदत है या न्यूट्रल है | जैसे-आप सुबह जगने से लेकर कार्य पर जाने तक की आदतों की एक सूचि बना सकते है | कई बार किसी खास आदत के बारे में हम यह तय नहीं कर पाते हैं कि यह खराब है या अच्छी | ऐसी स्थिति में स्वयं से यह प्रश्न पूछे कि क्या यह आदत मुझे वह बनने में मदद करेगी जो मैं बनना चाहता हूं या यह आदत मेरी इच्छित पहचान को मजबूत करेगी या नहीं | इस प्रकार से सूची बनाने से आप इस बारे में सजग हो सकेंगे कि आपको कौनसे व्यवहार में परिवर्तन करने की आवश्यकता है |
यह भी पढ़े -आपको खुद पर भरोसा क्यूँ नहीं करना चाहिए
3 क्रियान्वयन के इरादों को स्पष्ट करना -
जब आप किसी आदत के क्रियान्वयन के इरादों को स्पष्ट कर देते हैं तो उस आदत के पूर्ण होने की संभावना काफी बढ़ जाती है | इसके लिए समय एवं स्थान दो महत्वपूर्ण संकेत है | जैसे- " मैं शाम को 6:00 बजे अपने बेडरूम में आधा घंटे अंग्रेजी पढूंगा "अथवा "मैं सुबह 7:00 बजे घर की छत पर 20 मिनट प्राणायाम करूंगा "| क्रियान्वयन के इरादों को जाहिर करने या स्पष्ट कर देने से क्रियान्वयन आसान हो जाता है और बाधाएं आप को रोक नहीं पाती है और आप मार्ग भटकने से बच जाते हैं |
4 आदतों को क्रमबद्ध करना-
आदतों को स्पष्ट बनाने की यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो कि "दिदरो इफ़ेक्ट" पर आधारित है | एक चीज के बाद दूसरी चीज को खरीदने की प्रवृत्ति को "दिदरो इफेक्ट" कहा जाता है | हालांकि दिदरो इफ़ेक्ट एक नकारात्मक अवधारणा है लेकिन आदतों को स्पष्ट बनाने में इसे लागू किया जा सकता है | इसका तरीका यह है कि आप एक वर्तमान आदत ( जिसे आप प्रतिदिन करते हैं ) के साथ इच्छित नई आदत को क्रमबद्ध कर दे अर्थात अटैच कर दें | इस तकनीक में नई आदत को किसी विशेष समय और स्थान से जोड़ने के बजाए वर्तमान आदत से जोड़ देते हैं | जैसे- "जैसे ही मैं ऑफिस से आने के बाद जूते उतारूँगा, वर्कआउट के कपड़े पहनकर एक्सरसाइज करूंगा "| यदि आप की वर्तमान आदत प्रतिदिन सुबह चाय पीने की है तो आप इस प्रकार से कि- "जैसे ही सुबह मैं अपना चाय का कप खत्म करूंगा,10 मिनट मेडिटेशन करूंगा " इस क्रम को और आगे भी बढ़ाया जा सकता है | जैसे- " मेडिटेशन के तुरंत बाद मैं 10 मिनट कोई प्रेरक पुस्तक पढूंगा "|
इस तरीके से आप अपनी आदतों के साथ भविष्य के व्यवहार को भी क्रमबद्ध कर सकते हैं | जैसे - " जब मैं किसी पार्टी में जाऊंगा तो कम से कम एक अनजान व्यक्ति से मुलाकात करूंगा", "जब मैं लिफ्ट के पास सीढ़ियां देखूंगा तो लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करूंगा " |
5 आदत अनुकूल माहौल बनाएं-
व्यक्ति का व्यवहार तय करने में माहौल की दमदार भूमिका होती है | किसी शोक सभा में लोग फुसफुसाकर बात करते हैं, अंधेरी सड़क पर लोग सतर्क होकर चलते हैं | मानवीय संवेदी अंगों में आंखें सर्वाधिक शक्तिशाली होती है | डिपार्टमेंटल स्टोर में जमीन पर रखी हुई चीजों के बजाय आंखों के स्तर पर रखी जाने वाली चीजे अधिक खरीदी जाती है , क्योंकि आंखों से जो संकेत मिलते हैं वह हमारे व्यवहार के सबसे बड़े उत्प्रेरक होते हैं | आसपास का वातावरण इच्छित आदतों के संकेतों से भरा हुआ रखें ताकि आदत बार-बार याद आ सके | जैसे-यदि आप हर रात को सोने से पहले पुस्तक पढ़ने की आदत बनाना चाहते हैं तो बेड के पास पहले से ही पुस्तक रख दे | यदि पानी अधिक पीना चाहते हैं तो घर के उन स्थानों पर पानी की बोतल रखें जहां आप ज्यादा समय व्यतीत करते हैं | इस प्रकार आप उचित माहौल निर्माण कर अपने जीवन का नियंत्रण अपने हाथ में ले सकते हैं |
6 इच्छित आदत को किसी नवीन संदर्भ से जोड़े -
किसी आदत को दोहराने में स्थान विशेष अथवा संदर्भ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है ,विशेषकर बुरी आदतों के संबंध में | जैसे कई लोग सोशल पार्टी में शराब पीते हैं जबकि अकेले होने पर नहीं पीते हैं | सुबह कार्य पर जाने हेतु घर से बाहर निकलते ही पान की दुकान से सिगरेट खरीदना | इन स्थितियों एवं संदर्भ में व्यवहार परिवर्तन कर नई आदत स्थापित करना बहुत मुश्किल होता है }| ऐसे में तरीका यही है कि नई आदतों के लिए नए स्थान ढूंढ कर नवीन संदर्भ बनाए जाएं | साथ ही एक आदत के संदर्भ को दूसरी आदत से यथासंभव मिश्रित ना किया जाए | उदाहरण के लिए- अनिद्रा की समस्या को दूर करने हेतु,जब नींद आए तभी बिस्तरों पर जाए,इससे होगा यह कि नींद का बिस्तर के साथ संदर्भ जुड़ जाएगा | जंक फूड की आदत से छुटकारा पाना है तो उस स्टोर ( जिससे सामान्यतया आप खरीदारी करते हैं ) पर न जाकर किसी अन्य से खरीदारी करें ताकि आप ऑटो मोड में खरीदारी ना कर सके | क्योंकि तब आपके मस्तिष्क को स्वचालित रूप से यह पता नहीं होगा कि उस नए स्टोर में वह वस्तु कहां रखी हुई है |
आदतों के सन्दर्भ को मिश्रित ना करके "एक स्थान-एक कार्य " सिद्धांत को अपनाया जाए | यदि आप दो आदतों को मिलाने लग जाते है तो हमेशा जीत आसान आदत की होगी | बेहतर है कि आप अपने घर में हर कार्य का एक विशिष्ट स्थान नियत कर दें यदि आपके घर में सीमित जगह है तो हर कार्य के लिए एक टेबल या कोई घर का कोना निश्चित कर सकते हैं | काम की जगह,पढ़ने की जगह,स्मार्टफोन चलाने की जगह,नींद की जगह आदि | जब एक बार आप स्थान तय कर देते हैं तो न केवल आउटपुटअच्छा आएगा अपितु एक आदत दूसरी आदत पर हावी नहीं हो पाएगी |
खराब आदत को कैसे रोके-
यह बात सुनिश्चित है कि आप आदत को रोक सकते हैं,लेकिन उसे भूल पाना संभव नहीं है | एक बार किसी आदत ने दिमाग में स्थान बना लिया तो इसे पूरी तरह समाप्त करना मुश्किल हो जाता है,भले ही लंबे समय से हमने वह आदत का कार्य नहीं किया हो | जैसे ही हम उस पूर्व आदत संबंधी माहौल में आते हैं हमारे फिर से फिसलने की संभावना बढ़ जाती है | इससे बचने का सर्वोत्तम उपाय यही है कि उस चीज,वस्तु या माहौल को अदृश्य कर दिया जाए अर्थात हटा दिया जाए जो हमारी इच्छा शक्ति को चुनौती प्रदान करता है |
जैसे-यदि फोन में आप अधिक समय बर्बाद कर रहे हैं तो उसे कुछ समय के लिए दूसरे कमरे में रख आये, मार्केटिंग में अधिक पैसा खर्च कर रहे हैं तो कुछ समय के लिए मार्केट जाना बंद कर दें |
दोस्तों,यूं तो अच्छी आदतें बनाने एवं बुरी आदतों से दूर होने में सबसे महत्वपूर्ण आपकी इच्छा शक्ति है,लेकिन उपरोक्त छोटी-छोटी तकनीकें आपको समर्थन देकर आपकी इच्छा शक्ति को मजबूती प्रदान करने में बहुत ही उपयोगी है | withrbansal
@@@@@
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
आपको मेरी यह पोस्ट कैसी लगी ,कृपया सुझाव, शिकायत टिप्पणी बॉक्स में लिखकर बताये