अच्छी आदतें बनानी है तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा आकर्षक बनाएं
आदतों को आकर्षक कैसे बनाएं-
Withrbansal दोस्तों, पिछले लेख में हमने यह जाना था कि आदत (habits ) क्या है, आदतें क्यों जरूरी है,और आदतों का क्या महत्व है ? सामान्यतया "आदत "(habit ) किसी प्राणी के उस व्यवहार को कहते हैं जो बिना अधिक सोचे-विचारे बार-बार दोहराया जावे | "आदत" (habit ) लैटिन भाषा के habitus या habere शब्द से बना है,जिसका अर्थ है- "प्राप्त करना" अर्थात आदत एक प्रकार का अर्जित व्यवहार है जिसमें किसी कार्य के करने का तरीका निहित होता है |
आदतें, अच्छी-बुरी,छोटी-बड़ी किसी भी प्रकार की हो सकती है,लेकिन लंबे समय में हमारे जीवन को आकार देने में इनका महत्वपूर्ण रोल होता है | यह जानते हुए भी यहां हमारे सामने चुनौती यह है कि अच्छी आदतें बनती नहीं है और बुरी आदतें छूटती नहीं है | हममें से अधिकांश लोग सुबह जल्दी उठकर, वर्कआउट,मॉर्निंग वॉक या अन्य किसी प्रकार की एक्सरसाइज आदि की आदत डालना चाहते हैं लेकिन कितने लोग ऐसा कर पाते हैं,युवा पीढ़ी,जंक फूड के नुकसान अच्छे से समझती है फिर भी वे इससे छुटकारा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं | क्यों ? क्या कारण है कि हम अपने ही व्यवहार को अपने हित में नियंत्रित नहीं कर पाते हैं ?
दुनिया में आदतों के ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ " जेम्स क्लियर " द्वारा आधुनिक मनोविज्ञान एवं न्यूरोसाइंस के गहन शोध के आधार पर कुछ ऐसे सिद्धाँत एवं तकनीकें प्रतिपादित की गई है जिनको अपनाकर न केवल अच्छी आदतें विकसित की जा सकती है,वरन ख़राब आदतों से भी छुटकारा पाया जा सकता है |
पिछले लेख में हमने आदतों के प्रथम सिद्धांत-आदतों को स्पष्ट बनाने के सिद्धांत एवं इससे संबंधित तकनीकें यथा पॉइंटिंग एंड कॉलिंग तकनीक,आदतों का स्कोर कार्ड,आदतों को क्रमबद्ध करना,क्रियान्वयन के इरादों को स्पष्ट करना, आदतों को नवीन सन्दर्भ से जोड़ना आदि तकनीकों के बारे में चर्चा की थी | आदतों का द्वितीय सिद्धांत -आदतों को आकर्षक बनाने के सिद्धांत के नाम से जाना जाता है |
आदतों को आकर्षक बनाने का सिद्धांत -
"जेम्स क्लियर"अनुसंधानों के द्वारा यह स्थापित करते हैं कि यदि आप उन अवसरों को बढ़ाना चाहते हैं जिसमें एक व्यवहार घटित हो तो आपको इसे आकर्षक बनाने की आवश्यकता है | जितना आकर्षक अवसर होगा उतनी ही जल्दी इसकी आदत बनती जाएगी |इस संबंध में वे आधुनिक फूड इंडस्ट्रीज का उदाहरण देते हैं | फूड साइंस का प्राथमिक लक्ष्य ऐसे उत्पाद बनाने का होता है जो उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक हो | इसके लिए फूड इंडस्ट्रीज का सारा जोर नमक,शक्कर एवं फैट के मिश्रण से विभिन्न फ्लेवरों में ज्यादा से ज्यादा स्वादिष्ट उत्पाद तैयार करने पर है |
प्रोसेसिंग से बने यह खाद्य पदार्थ विभिन्न सेन्सेशनों के संयोजन से बनाए जाते हैं ,जैसे -क्रंची और क्रीमी का सयोंजन | पिज्ज़ा की कुरकुरी परत के ऊपर पिघला हुआ चीज या ऑरिओ कुकी का क्रंच जो भीतर से मुलायम होता है | यह उत्पाद आपके दिमाग को उत्तेजित कर सनसनाहट पैदा करते हैं,फलस्वरुप आप इनके आदि होते जाते हैं |
इसी प्रकार स्टोर्स में पुतले अतिरंजित रूप में आकर्षक बनाये जाते हैं ताकि वस्त्रों को बेचा जा सके | सोशल मीडिया की लत का कारण भी यही है कि यहां लाइक्स व प्रशंशा कुछ ही मिनटों में मिल जाती है,भले ही ऑफिस या घर में हमें नहीं मिलती हो | इसी प्रकार ऑनलाइन पोर्न लत भी वास्तविक जीवन से कहीं अधिक उत्तेजक होने के कारण आदत के रूप में शुमार हो जाती है |
आदते,डोपामाइन से चलने वाली फीडबैक लूप है और हर व्यवहार जो आदत को प्रबल करता है,जैसे-जंक फूड खाना,नशा करना ,वीडियो गेम खेलना,सोशल मीडिया पर समय बिताना,पोर्न देखना आदि का संबंध डोपामाइन के उच्च स्तर से होता है |
डोपामाइन न केवल तब स्रावित होता है,जब आप आनंद का अनुभव करते हैं बल्कि तब भी होता है जब आप इसकी आशा करते हैं | जुआरियों में दांव लगाने से पहले डोपामाइन बढ़ता है न कि जीतने के बाद,नशेड़ीओ को नशे की सामग्री देखने पर डोपामाइन का उछाल मिलता है ना कि उसे लेने के बाद | डोपामाइन,प्रेरक शक्ति को बढ़ाता है जिससे व्यक्ति कार्य करने हेतु उत्प्रेरित होता है | कोई फायदा या इनाम मिलने की आकांक्षा हमें कार्य करने के लिए प्रेरित करती है ना कि फायदा या इनाम की प्राप्ति | अतः किसी व्यवहार को स्थाई या आदत के रूप में बदलने के लिए उसे आकर्षक बनाया जाना आवश्यक है और इन्हें बनाने के लिए जेम्स क्लियर द्वारा कुछ तकनीकें बताई गई है जो कि निम्नानुसार है -
1-प्रलोभन बंडलिंग-
यह "प्रमेक" के मनोवैज्ञानिक सिद्धांत को लागू करने का तरीका है,जो कहता है कि-"अधिक संभावित व्यवहार,कम संभावित व्यवहार को सुदृढ़ करता है" | "प्रलोभन बंडलिंग " शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर "कैरी मिल्कमैन " द्वारा किया गया था |
" दस सेट सूर्य नमस्कार योग करने के बाद ही मैं फेसबुक देखूँगा "अथवा
"जैसे ही मैं फेसबुक देखने के लिए मोबाइल हाथ में लूंगा उससे पूर्व दस सेट सूर्य नमस्कार योग करूँगा | "
2-समान समूहों से जुड़ाव-
मनुष्य,एक सामाजिक प्राणी है,वह अपने समूह के साथियों से सम्मान एवं अनुमोदन का आकांक्षी होता है | यह सम्मान एवं अनुमोदन उसे तब मिलता है जब वह उस समूह की संस्कृति में ढलता है | इस हेतु इंसान सबसे करीबी समूह,बड़ा समूह एवं ताकतवर लोगों के समूह की आदतों की नकल करता है | हर समूह आपको व्यवहार बदलने का अवसर प्रदान करता है कि आप अपनी आदतों को आकर्षक बना ले |
A करीबी समूह-
सामान्य नियम यह है कि हम किसी के जितना करीब होंगे उतना ही उसकी आदतों को अपनाने की संभावना होगी,इसलिए तो "संगत" को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है | एक अध्ययन में यह पाया गया है कि यदि किसी व्यक्ति का कोई दोस्त मोटा था तो उसके मोटे होने की संभावना 57% बढ़ गई थी | इसी प्रकार धन के मामलों में यह माना जाता है कि आपकी नेटवर्थ आपके सबसे करीबी चार दोस्तों की नेटवर्थ का औसत होती है | हम अपने आसपास के लोगों के गुणों और प्रथाओं को आत्मसात कर लेते हैं |
अच्छी आदतों के निर्माण के प्रभावी तरीकों में से यह एक है कि आप खुद के चारों ओर उन लोगों का साथ लें जिनकी आदतें वैसी है जो आप खुद में विकसित करना चाहते हैं | ऐसी संस्कृति वाले समूहों से जुड़े जहां आपका इच्छित व्यवहार,सामान्य व्यवहार हो अथवा आपके व उस समूह के मध्य पहले से कुछ बातें समान हो | जैसे-आप पढ़ने की आदत बनाना चाहते हैं तो किसी बुक क्लब से जुड़ जाएं, ट्रेवल करना चाहते हैं तो ऑनलाइन ट्रैवल क्लब से सम्पर्क बनाये,फिटनेस पसंद है तो फिटनेस क्लब की सदस्यता ले ले | समूह से जुड़ने पर प्रेरणा स्थाई रूप से बरकरार रहती है इसलिए लक्ष्य प्राप्ति के बाद भी आदत को बनाए रखने के लिए समूह से जुड़ा रहना महत्वपूर्ण होता है |
B बड़ा समूह-
जब भी हम अनिश्चित होते हैं कि कैसे कार्य करना है या क्या निर्णय लिया जाना ठीक रहेगा,तब हम समूह की ओर देखते हैं कि बाकि लोग क्या कर रहे हैं | हम अमेजॉन,जोमाटो,स्विगी , ट्रिप एडवाइजर पर रिव्यूज देखते हैं या स्टार रेटिंग देखते हैं,क्योंकि हम खरीदने,खाने या यात्रा में सर्वश्रेष्ठ चीज चाहते हैं |
C ताकतवर समूह-
हम ऐसे कार्यों या व्यवहार के प्रति आकर्षित होते हैं जो हमें सम्मान,सहमति,प्रशंसा एवं सामाजिक स्तर प्रदान करते हैं | इसलिए हम प्रभावी एवं सफल लोगों की आदतों का अनुकरण करते हैं | आप व्यवसाय में सफल कंपनियों की मार्केट स्ट्रेटजी को अपनाते हैं,आप अपने पसंदीदा अभिनेता की फिटनेस शैली का अनुकरण करते हैं | अच्छी आदतों के संबंध में हमेशा आपका कोई रोल मॉडल का होना उपयोगी होता है |
3-अपने दिमाग की रिप्रोग्रामिंग करें-
यदि आप कठिन आदतों को सकारात्मक अनुभव से जोड़ना सीख जाते हैं तो उन्हें आप ज्यादा आकर्षक बना सकते हैं | इसके लिए आपको अपनी मानसिकता में थोड़ा परिवर्तन करना होगा | कठिन आदतों के नुकसान के बजाय उनके फायदों को रेखांकित करना अपने दिमाग की रि-प्रोग्रामिंग करने एवं आदतों को ज्यादा आकर्षक बनाने का तीव्र एवं सरल तरीका है | जैसे यदि आप कहते हैं कि- "मुझे सुबह जोगिंग जाना पड़ता है",इसकी बजाय कहिए कि- "मेरा शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बूस्ट करने का समय आ गया है" इसी प्रकार मित्तव्ययता के संबंध में आपकी मानसिकता ही यह निर्धारित करती है कि आप इसे सीमाएं ( LIMITATION ) मानते हैं या भविष्य की आर्थिक स्वतंत्रता | मानसिकता में मामूली बदलाव,एक कठिन आदत को आसान आदत में परिवर्तित कर देता है |
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4-कठिन आदत से पहले वह कार्य करें,जिससे प्रसन्नता मिलती हो-
यदि आप दिमाग की रिप्रोग्रामिंग से एक कदम और आगे बढ़ना चाहते हैं तो आप कठिन आदत से पहले वह काम करें,जिसे करने से आपको प्रसन्नता मिलती हो, जिससे आपकी मानसिकता बेहतर होकर कठिन आदत को करने हेतु प्रेरित हो जाते हैं |
अक्सर इस तरह की रणनीतियां खिलाड़ियों के द्वारा प्रदर्शन के लिए अपनी मानसिकता को अच्छे करने हेतु अपनाया जाता है | जैसे-आपको प्रतिदिन लिखना कठिन कार्य लगता है एवं आपको संगीत सुनने से प्रसन्नता मिलती है तो लिखने से पूर्व कुछ देर आप हेडफोन लगाकर संगीत का मजा ले फिर लिखना शुरू करें,कुछ दिनों के बाद आपको संगीत की आवश्यकता नहीं रहेगी आप जैसे ही हैडफ़ोन लगायेंगे ,लिखना शुरू कर देंगे |
ख़राब आदतों से छुटकारा पाना है तो इन्हें अनाकर्षक बनाएं-
@ जिस प्रकार अच्छी आदतों को अपनाने के लिए इन्हें अधिकाधिक आकर्षक बनाया जाना चाहिए,उसी प्रकार बुरी आदतों से छुटकारा पाना है तो इन्हें अनाकर्षक बनाने की कोशिश करें | खराब आदतों को छोड़ने के फायदों को मानसिकता में स्थान प्रदान करें |
"एलन कार" की सुप्रसिद्ध पुस्तक "EASY WAY TO STOP SMOKING" में सिगरेट छोड़ने के तरीके बताए गए हैं जिन्हें पढ़कर आपको लगने लगेगा कि सिगरेट पीने में कोई मजा नहीं है और आपको सिगरेट पीने की आवश्यकता नहीं है |इस पुस्तक में कुछ इस तरह की बातें की गई है-
"आप सोच रहे हैं कि आप कुछ छोड़ रहे हैं,लेकिन आप कुछ छोड़ नहीं रहे हैं,क्योंकि सिगरेट आपके लिए कुछ नहीं करती है | "
"आप सोचते हैं कि इसे पीने से तनाव खत्म होगा,लेकिन नहीं,इसे पीने से नसों में फायदा नहीं बल्कि नुकसान होगा | "
@ किसी भी आदत विशेषकर खराब आदत की तलब के पीछे कोई न कोई भीतरी प्रेरणा होती है जैसे-आपकी सोशल मीडिया ब्राउजिंग की ललक के पीछे आपकी संबंध बनाने एवं एक-दूसरे से जुड़ने की प्रेरणा होती है | सिगरेट पीने की तलब के पीछे गहरे स्तर में सामाजिक स्वीकृति प्राप्त करने ,अनिश्चितता कम करने अथवा बेचैनी समाप्त करने की प्रेरणा हो सकती है | एक बार जब आप किसी हल को किसी समस्या से जोड़ देते हैं तो आप बार-बार इसका इस्तेमाल करते रहते हैं |
@ आदतों का मतलब जुड़ाव से है |यह जुड़ाव ही निर्धारित करते हैं कि कोई आदत बार-बार दोहराने के योग्य है या नहीं | हमारा दिमाग सूचनाओं को लगातार ग्रहण करते हुए वातावरण में उपलब्ध संकेतों को देखता रहता है,उन संकेतों से दिमाग में उद्दीपन पैदा होता है,जिस पर हमारा दिमाग अनुमान लगाता है कि अगले क्षण में क्या किया जाना है | उदाहरण के लिए जैसे ही आप सिगरेट की दुकान देखते हैं (संकेत ) ,आपका दिमाग उद्दीपन प्रवाहित करता है (सिगरेट के पूर्व आनंद का) और आप सिगरेट खरीद लेते हैं |
तो दोस्तों,याद रखें,अगर आपको अच्छी आदतें बनानी है तो उन कार्यों को ज्यादा से ज्यादा आकर्षक बनाने के तरीकों की खोज करें और बुरी आदतों से छुटकारा पाना है तो आप उन आदतों के जुड़ावों में बदलाव करें और उन्हें अनाकर्षक बना दें | Withrbansal
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