क्या अंतिम समय पर मृत प्रियजन हमारे स्वागत को उपस्थित होते है ?
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क्या मृत्यु के समय हमारे मृत प्रियजन हमें लेने आते है ?
दोस्तों, मृत्यु जीवन का सबसे रहस्यमय और अपरिभाषित अनुभव है | मृत्यु के क्षण क्या होता है,आज भी सृष्टि की सबसे अनूठी पहेली है | प्राचीन काल से ही अनेकों योगियों एवं संतों द्वारा इस रहस्य को जानने का प्रयास किया जाकर अपने अनुभव साझा किए गए हैं,लेकिन मानव का मृत्यु से भय कम नहीं हुआ है |
सेक्स के बाद आज भी मृत्यु ही वह दूसरी चीज है जिस पर इंसान बात करने से भी कतराता है | "अर्नेस्ट बेकर " तो मनुष्य को मृत्यु से पीड़ित पशु बताते है | मृत्यु के पीछे चाहे "जे0 कृष्णमूर्ति "का निरंतरता के छूट जाने का भय हो या ज्ञात को खो देने का डर या फिर "बेकर" का व्यक्तिगत पहचान मिट जाने का अंदेशा | कारण चाहे जो भी हो दोस्तों, लेकिन मृत्यु जीवन का अंत ना होकर एक नये जीवन में प्रवेश का द्वार है और यह प्रकृति के सामंजस्य में ही है, प्रकृति नित नूतन श्रृंगार करती है |
मृत्यु से ही संबंधित एक प्रश्न है "क्या मृत्यु के अंतिम क्षणों में हमारे मृत पूर्वज या परिजन हमें लेने आते हैं ?"
कई लोग दावा करते हैं कि अपने अंतिम क्षणों में उन्होंने अपने दिवंगत परिजनों को देखा या उनकी उपस्थिति को महसूस किया है | लेकिन क्या यह सच में आत्माओं का मिलन होता है या फिर यह मन का कोई भ्रम है ?
इस संबंध में हॉस्पिस नर्स "हेडली ब्लाहोस " के अनुभव उल्लेखनीय है | ब्लाहोस के द्वारा युएसए के लुसियाना प्रान्त में वर्षो हॉस्पिस नर्स के रूप में काम किया है | ब्लाहोस ने अपनी पुस्तक "The in Between " मैं अपने मरीजों के अंतिम पलों को दर्ज किया है | उन्होंने देखा की मृत्यु से कुछ समय पहले उनके कई मरीज अपने मृत परिजनों ( भाई, बहन, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, दोस्त अथवा अन्य कोई प्रियजन ) से बात करने लगते हैं,उन्हें देखते हैं और कहते हैं कि वह उन्हें लेने आए हैं | महत्वपूर्ण बात यह है कि चाहे उनके नस्ल,धार्मिक विश्वास या कोई अन्य चीज कुछ भी रहे हो,यहाँ तक कि उनमे से कई तो जीवन भर घोर नास्तिक रहे है |
पुस्तक के कुछ उदाहरण -
एक मरीज ने कहा - " मां दरवाजे पर खड़ी है, वे कह रही है कि मैं तैयार हूं |" लेकिन कमरे में कोई नहीं था |
एक अन्य मरीज ने कहा -" मुझे डैड दिखाई दे रहे हैं वह कह रहे हैं कि मैं अब घर आ सकता हूं |"
फिर से एक मरीज - " मैं अपने पति के पास जाने का इंतजार नहीं कर सकती, वह बिल्कुल तुम्हारे पास खड़े हैं, मैं फिर से उनके साथ ही जाऊंगी "
कुछ मामलों में मरीजों ने दिव्य प्रकाश,संगीत या एक अनोखी शांति महसूस की |
"ब्लाहोस " का मानना है कि मृत्यु केवल एक परिवर्तन है न कि अंत | उनके अनुभवों से यह संकेत मिलता है कि मृत्यु से पहले मरने वाले की चेतना किसी अन्य संसार से जुड़ने लगती है |
वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण -
हालाँकि वैज्ञानिक इसका कारण मृत्यु के समय मस्तिष्क में होने वाले रासायनिक एवं न्यूरोलॉजिकल बदलावों को मानते हैं | न्यूरोलॉजिस्ट "ब्रुस गेयर्सन " के अनुसार मृत्यु के समय मस्तिष्क अत्यधिक न्यूरोट्रांसमीटर छोड़ता है जिससे मरणासन्न को असामान्य विजन होने लगते हैं | पीनियल ग्रंथि के डीएमटी नामक रसायन छोड़ने के कारण भी लोग दिव्य अनुभवों की अनुभूति कर सकते हैं |
वैज्ञानिक "नियर डेथ एक्सपीरियंस" ( NDE ) में शांति,आनंद एवं रोशनी महसूस करने का कारण भी मृत्यु से पहले ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी या बड़ी मात्रा में एंडोर्फिन रिलीज के कारण फील गुड हार्मोन का स्रावित होना मानते है |
वहीं मनोवैज्ञानिक इसे एक अवचेतन द्वारा सांत्वना देने वाली प्रक्रिया मानते हैं जो मृत्यु को सहज बनाने में मदद करती है | लेकिन यह सब पूरी तरह सच नहीं है | इसकी सही व्याख्या अध्यात्म से ही संभव है |
आध्यात्मिक दृष्टिकोण-
आध्यात्मिक विश्वास पूरी तरह से इस बात पर दृढ़ है कि पूर्वज आत्माएं मृत्यु के समय मृतक का स्वागत एवं मार्गदर्शन करने उपस्थित होती है | हिंदू,बौद्ध, ईसाई इत्यादि लगभग सभी धर्म में यह स्वीकार किया गया है कि मृत्यु के समय आत्मा को पहले अपने पूर्वजों का दर्शन होता है और वह उसे मार्ग दिखाते हैं | इस संबंध में बौद्ध ग्रंथो में "बरदो "( Bardo ) नामक एक अवस्था का उल्लेख आता है | इस अवस्था में आत्मा अपने मृत परिजनों से अगले जीवन के लिए मार्गदर्शन प्राप्त करती है |
इस संबंध में निम्न बिंदु उल्लेखनीय है-
1 आधुनिक विज्ञान हमें बताता है कि हर जीवित प्राणी का एक ऊर्जा क्षेत्र होता है | मृत्यु से ठीक पहले यह ऊर्जा कंपन बदलना शुरू हो जाते हैं | योगियों का मानना है कि जैसे ही शरीर की ऊर्जा घटती है,आत्मा का कंपन एक सूक्ष्म तरंग पर चला जाता है जिससे वह उन्हीं तरंगों से जुड़ने लगती है जो पहले इस धरती से जा चुके हैं | इसी वजह से मृत्यु से ठीक पहले लोग अपने मृत पूर्वजों को देखते और महसूस करते हैं |
2 कुछ योगियों और ध्यान विशेषज्ञों का मानना है कि मृत्यु के समय आत्मा शरीर से बाहर निकलने के बजाय अपनी चेतना को फैलाती है और एक उच्चतर अवस्था में चली जाती है | यह एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति न केवल अपने जीवन की समग्रता को देखता है बल्कि उन आत्माओं से भी जुड़ता है जो उसके जीवन से किसी ने किसी रूप में जुड़ी रही है | योगियों का यह भी मानना है कि इस समय आत्मा को एक क्षणिक "टोटल विजन "यानी संपूर्ण दृष्टि प्राप्त होती है जिससे वह अपने पूर्वजों को भी देख सकती है |
3 हर परिवार का अपना एक ऊर्जा क्षेत्र होता है | आपने ध्यान दिया होगा कि कुछ घरों में प्रवेश करते ही एक अजीब सी शांति और ऊर्जा महसूस होती है जबकि कुछ जगहों पर बेचैनी या भारीपन लगता है | जब कोई आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसका कंपन कुछ समय तक इस क्षेत्र में बना रहता है l यही कारण है की मृत्यु के बाद 12 दिन,40 दिन या 1 वर्ष तक श्राद्ध या अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं ताकि आत्मा की ऊर्जा को आत्मिक रूप से मुक्त किया जा सके | यदि परिवार इस ऊर्जा को जागरूकता से देखे तो भी मृत्यु के क्षण में अपने दिवंगत परिजनों की उपस्थिति को अनुभव कर सकते हैं |
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4 आध्यात्मिक रूप से एक रहस्य यह भी माना जाता है कि मृत्यु के अंतिम क्षणों में कुछ समय के लिए आत्मा और अन्य आत्मिक ऊर्जाओं के बीच एक "संपर्क खिड़की" (contact window) खुलती है जिसके दौरान व्यक्ति अपने पूर्वजों को देख सकता है | यह एक रेडियो फ्रीक्वेंसी की तरह कार्य करती है क्योंकि उस समय दोनों समान आवृत्ति पर कंपन कर रहे होते हैं |
5 आमतौर पर मृत्यु को एक रहस्य इसलिए माना जाता है कि किसी ने इसका प्रत्यक्ष अनुभव नहीं किया होता है | लेकिन योगियों और साधकों का अनुभव यह कहता है कि जब कोई आत्मा शरीर छोड़ती है तो वह कुछ समय तक उन लोगों के पास रहती है जिनसे उनका गहरा भावनात्मक संबंध रहा हुआ है | यही कारण है कि माता-पिता की मृत्यु के बाद बच्चे उन्हें सपनों में या ऊर्जा रूप में अनुभव करते हैं |
दोस्तों,वैज्ञानिक चाहे आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार करें या ना करें, लेकिन क्वांटम भौतिकी यह प्रमाणित कर चुकी है कि ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती है बल्कि रूपांतरित होती है | जब कोई आत्मा शरीर छोड़ती है तो वह समाप्त नहीं होती है बल्कि एक नए रूप में प्रवाहित होती है | यदि व्यक्ति मृत्यु के क्षणों में अपने मन को शांत और प्रेम से भर ले तो वह चेतना के उच्च स्तर पर जाकर अपने दिवंगत परिजनों से दिव्य मिलन का सुखद अनुभव प्राप्त कर सकता है |
दोस्तों,क्या आपने कभी ऐसे अनुभव किये है ? कृपया कमेंट में साझा करें | यदि नहीं तो कृपया ध्यान, साधना प्रारंभ करें इससे निश्चित रूप से आपकी जागरूकता का स्तर बढ़ेगा ओर हो सकता कभी इस रहस्य का अनुभव हो जाए 🙏
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