मृत्यु पूर्व अनुभव : आउट ऑफ़ बॉडी एक्सपीरियंस
नियर डैथ एक्सपीरियंस (एन0डी0इ0)-
withrbansal यह कहा जाता है कि' मौत' सबसे अच्छी शिक्षक है यह हमें वो सिखाती है जो संसार का कोई भी गुरू ,संत या उपदेशक नहीं सीखा सकता | यहाँ' मौत' से तात्यपर्य वास्तविक मौत से है अर्थात शरीर से अशरीरी अवस्था में आ जाना,न कि शरीर में ही बने रहकर मृत्यु के निकट जाकर आ जाने से | जी हाँ दोस्तों बात हो रही है -मृत्यु निकट अनुभव या नियर डेथ एक्सपीरियंस (NDE ) की | इसे मृत्यु के बाद का अनुभव भी कहा जाता है | यह एक तरह का अलौकिक एवं आध्यात्मिक अनुभव है जो उन लोगों को हुआ होता है जो कुछ देर के लिए अपने शरीर से बाहर निकलकर वापस लौट आये है | कभी -कभी ऐसा होता है कि किसी गंभीर रूप से घायल या बीमार व्यक्ति की कुछ देर के लिए मृत्यु हो जाती है ,उसके दिल की धड़कन बंद हो जाती है और सांसे रुक जाती है परन्तु कुछ देर बाद चिकित्सको के प्रयासों से अथवा अपने आप वे पुनः जी उठते है | जितनी देर चिकित्सक या वहाँ उपस्थित व्यक्ति उन्हें मृत समझते रहे उतनी देर वास्तव में वे अपने शरीर से बाहर निकलकर अशरीरी रूप में मौजूद थे और वहाँ पर उपस्थित डॉक्टरों या अन्य व्यक्तियों की गतिविधियों को अशरीरी रूप में देख रहे थे | ऐसे अस्थायी रूप से मृत व्यक्तियों के द्वारा उस समय जो अनुभव किये गए उन्हें ही' नियर डेथ एक्सपीरियंस'(NDE ) या 'आउट ऑफ़ बॉडी एक्सपीरियंस '( OBE ) कहा जाता है | संसार में इस तरह के अनुभव प्राप्त बहुत से व्यक्ति मौजूद है | भारतीय ऋषि,मुनियो एवं साधकों के द्वारा अपने तप ,योग ,ध्यान एवं साधना के माध्यम से इस तरह के "आउट ऑफ़ बॉडी" अनुभव लिए जाते रहे है |
डॉ रेमंड मूडी ( 'लाइफ आफ्टर लाइफ' एवं 'द लाइट बियॉन्ड'में),डॉ एलिजाबेथ कुबलर ,डॉ केनेथ रिंग ,डॉ मेल्विन मोर्स व अन्य जाने -माने विशेषज्ञों के द्वारा इन नियर डेथ एक्सपीरियंस की अपने अध्ध्यनों के माध्यम से प्रमाणिकता को साबित किया गया है | डॉ जेफ्फ्रे लांग एवं पॉल पेरी ने भी' evidence of the after life'में इनकी सत्यता में बहुत से साक्ष्य प्रस्तुत किये गए है |
यहाँ लाखों लोगों के द्वारा अनुभव किये गए "नियर डेथ एक्सपीरियंस" की सबसे खास बात यह है कि सभी के अनुभव लगभग एक जैसे ही है चाहे उनकी सामाजिक ,आर्थिक ,राष्ट्रीय पृष्ठभूमि या धार्मिक एवं सांस्कृतिक विश्वाश कुछ भी रहें हों | प्रायः होता यह है कि इस अस्थायी मृत्यु के पल में व्यक्ति अपने शरीर से बाहर चला जाता है और अशरीरी अवस्था में आ जाता है और ऊपर हवा में तैरते हुए अपने शरीर एवं उपस्थित व्यक्तियों की गतिविधियों को देखता है | कुछ ही क्षण में उसे दूर एक अलौकिक ऊर्जायुक्त दिव्य सफ़ेद प्रकाश या दिव्य आभायुक्त कोई आध्यात्मिक व्यक्ति अथवा कोई दिवंगत प्रियजन दिखाई देने लगता है ,जिससे आकर्षित होकर वह उसकी और बढ़ने का प्रयास करता है ,उन्हें एक सुरंग से होकर गुजरना पड़ता है | इस दौरान उन्हें तन -मन को शांत करने वाला मधुर संगीत सुनाई देता है,उन्हें किसी भी तरह के दुःख -दर्द का अहसास नहीं होता है बल्कि वे अपार शांति ,आनंद एवं निर्वाध स्वतंत्रता महसूस करते है ,इसलिए ज्यादातर वापस अपने शरीर में लौटने के इच्छुक नहीं होते है | जैसे ही वे आगे बढ़ते है उन्हें उस दिव्य प्रकाश \आध्यात्मिक व्यक्तित्व से सन्देश प्राप्त होता है कि उन्हें अभी पृथ्वी पर कुछ काम ,कुछ ऋण या कुछ दायित्व बाकी है अतः वे वापस लौट जाये | कभी -कभी वापस लौटने के निर्देश के साथ -साथ आध्यात्मिक सन्देश भी दिए जाते है कि पृथ्वी पर तुम्हारे शेष जीवन के क्या उद्देश्य है | वापस लौटते ही वह अलौकिक आनंद ख़त्म हो जाता है और पुनः सांसारिक दुःख दर्द की गिरफ्त में आ जाते है ,लेकिन एक बात रह जाती है वो इस बात का ज्ञान कि मृत्यु के बाद भी हमारा अस्तित्व कायम रहता है |
' कोमा' में गए हुए व्यक्ति के अनुभव भी इसी तरह के है | ऐसा समय उनकी आत्माओ के लिए विश्राम \निलंबन का होता है, ऐसे में वह स्वयं यह तय करती है कि उसे लौटना है या नहीं | यदि वह यह समझती है कि उसे शरीर रूप में अभी कुछ सीखना बाकी है तो जैसे ही उसे अधूरे कार्यो का ज्ञान होता है वैसे ही तुरंत अपने शरीर में लौट आती है और फिर से संवेदनाओ को महसूस करने लग जाती है | दूसरी और यदि उसे लगता है कि आगे कुछ भी सीखने के लिए नहीं है तो वे सीधे आत्मिक अवस्था में चली जाती है ऐसे में कोई भी आधुनिक चिकित्सा उसे रोक नहीं पाती है |
"डॉ ब्रायन वीज "के द्वारा " थ्रू टाइम इन टू हीलिंग " में एक 65 वर्षीय महिला "शिर्ले " के "नियर डेथ अनुभव" का वर्णन करते हुए बताया कि वायुयान दुर्घटना में उनके शरीर के बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाने एवं दर्द सहन नहीं कर पाने के कारण वह वापस लौटने हेतु अनिच्छुक थी | ऐसे में दिव्य प्रकाश से उन्हें आत्मीय सन्देश दिया गया कि तुम्हे वापस लौटकर लोगो तक यह सन्देश पहुँचाना है कि वे शांति व प्रेम से रहे ,आत्मज्ञान प्राप्त करे और जीवन -मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त करे ,इस सन्देश के माध्यम से लोगों की सहायता करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है | यहाँ तक कि शिर्ले के द्वारा वापस शरीर में लौटने पश्चात् भी पुनः दिव्य प्रकाश से संपर्क किया गया और उनके निर्देशानुसार आत्मशक्ति को जाग्रत कर स्वयं को स्वस्थ भी किया |
यह भी पढ़े -आत्महत्या क्यूँ ? :आध्यात्मिक आयाम
नियर डेथ अनुभवों की एक और खास बात है -अपने गुजरे हुए जीवन की समीक्षा | अशरीरी अवस्था में वह अब तक उसके द्वारा जिस तरह से जीवन जिया गया है ,लोगों के साथ भला -बुरा जैसा बर्ताव किया है ,अच्छे -बुरे जो भी काम किये गए है वह सब एक रंगीन ,3 डी सिनेमा की तरह उसकी आँखों के सामने चलने लगता है | उसकी अब तक की पूरी जिंदगी का पुनरावलोकन एक पल में हो जाता है | ऐसे समय में व्यक्ति उन लोगो की भावनाओं को जस का तस अपने भीतर महसूस करने लगता है जिसकी उसने मदद की हो या दिल दुखाया हो ,जिन्हे प्यार किया हो या नफरत की हो | ऐसी समीक्षा के वक्त आध्यात्मिक व्यक्तित्व वहाँ मौजूद होते है |
यह भी पढ़े -सोलमेट :-जन्म-जन्मांतर के साथी कौन होते है l
इन नियर डेथ अनुभव से एक बात तो तय है कि व्यक्ति के मन से मौत का डर निकल जाता है | इस अनुभव से गुजरने वाले व्यक्ति के मन में ईश्वर के प्रति अटूट विश्वाश पैदा हो जाता है चाहे वह कितना ही नास्तिक क्यूँ ना हो | वह पहले से कही अधिक जिम्मेदार ,सजग एवं उदार हो जाता है | वह लोगों एवं परिस्थितियों को अच्छे -बुरे ,पसंद -नापसंद श्रेणी में बांटना बंद कर समग्र रूप से जीने लगता है | उसे हर चीज से प्रेम हो जाता है बाकि सारी बातें बेकार लगने लगती है अर्थात वह आध्यात्मिक रूप से विकसित हो चुका होता है |
00000
000
I heard about near death experience but really this theoretical concept cleared all points related movement of soul and conversation with that Divya Punjh, it was superb...
जवाब देंहटाएंBut we should know who give that advice or order to do that work like the go again and do social work etc.
That part of story same like as Qyamat ki raat... it means some one guided our soul then what we are doing, it means our soul is operated by some other one, who is that otherone?
That is question?